भोपाल । त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर तस्वीर मंगलवार को साफ हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट आरक्षण को लेकर आज फैसला सुना सकती है। इसके बाद जो भी स्थिति बनेगी, उसके हिसाब से सरकार चुनाव की तैयारियों में जुट जाएगी। पंचायतों का परिसीमन हो चुका है तो राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम पूरा कर लिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने में अधिकतम 21 दिन का समय लगेगा। प्रदेश में परिसीमन के बाद 22 हजार 985 पंचायतें हो गई हैं। दो हजार वार्ड बढ़े हैं। जनपद पंचायतों में 16 और जिला पंचायत में 23 वार्ड की वृद्धि हुई है। अब अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने पर अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि चुनाव का स्वरूप क्या होगा, यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने ओबीसी के लिए स्थान आरक्षित करने से पहले पिछड़ा कुल आबादी में हिस्सेदारी का आकलन करने के निर्देश दिए थे। सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित करके मतदाता सूची का विश्लेषण कराया। इसमें सामने आया कि 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं। इस आधार पर आयोग ने सरकार से ओबीसी के लिए त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों में 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की सिफारिश की। आयोग ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर दी है। इस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसे मंगलवार को सुनाया जाएगा।
संवैधानिक प्रविधान के अनुसार हों चुनाव
याचिकाकर्ता सैयद जाफर का कहना है कि हमने न्यायालय में संवैधानिक प्रविधानों के अनुसार चुनाव जल्द से जल्द कराने की मांग की है। तीन साल हो चुके हैं और पंचायतों के चुनाव नहीं हुए हैं। जबकि, स्पष्ट प्रविधान है कि पांच साल में चुनाव होने चाहिए। विशेष परिस्थिति में इसे छह माह बढ़ाया जा सकता है पर इससे ज्यादा अवधि तक चुनाव लंबित रखना संविधान की मूलभावना के विरुद्ध है।