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एक आंख से दिव्यांग है 90 साल का गफूर, 25 साल पहले एसडीएम ने दिया था लाइसेंस

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हरदोई: हरदोई में एक 90 वर्षीय ससुर ने अपनी 57 वर्षीय बहू की लाइसेंसी राइफल से गोली मारकर हत्या कर दी। पारिवारिक विवाद के चलते ससुर ने बहू के ऊपर गोली चला दी। बहू की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।पूरा मामला बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के ग्राम सैदपुर का है। यहां के रहने वाले 90 वर्षीय गफूर के दो पुत्र इरशाद और इकबाल हैं। पुलिस के मुताबिक, गफूर का अपनी बहन के साथ कुछ पारिवारिक बहस हो रही थी। इसी विवाद में इरशाद की बेगम सुलेमा ने अपने ससुर के खिलाफ कोई टिप्पणी कर दी। उसके बाद बुजुर्ग की बहू सुलेमा (57) से गफूर की कहासुनी होने लगी। इसी कहासुनी में गफूर ने अपनी लाइसेंसी राइफल से बहू को गोली मार दी। सुलेमा की मौके पर ही मौत हो गई।गोली की आवाज सुनकर पहुंचे लोगगोली की आवाज सुनकर लोग गफूर के घर की तरफ दौड़े और आनन-फानन में बेहटा गोकुल पुलिस को सूचना दी गई। इस मामले में हरदोई के एसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि सैदपुर गांव में मंगलवार को बुजुर्ग गफूर ने पारिवारिक झगड़े में अपनी लाइसेंसी राइफल से अपनी बहू सुलेमा को गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है।एक आंख से नहीं देख पाता है गफूरएक आंख से दिव्यांग होने के बाद भी बुजुर्ग को शस्त्र लाइसेंस कैसे नवीनीकृत होता रहा। शस्त्र लाइसेंस के नवीनीकरण के दौरान पुलिस रिपोर्ट लगाई जाती है। जिसमें इलाकाई थाने की पुलिस व्यक्ति के चाल चलन या कोई समस्या होने पर संस्तुति और असंस्तुति की रिपोर्ट लगाती है। जिस आधार पर शस्त्र अनुभाग शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण या शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई करता है।बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के गांव सैदपुर निवासी 90 वर्षीय गफूर एक आंख से दिव्यांग है। उसे सुनाई भी कम देता है। उसके नाम लाइसेंसी राइफल थी। 15 वर्ष पहले गफूर की एक आंख में माढ़ा आ गया था। इसके बाद से उसे एक आंख से दिखाता नहीं है। मेडिकल में अनफिट होने के बाद भी पुलिस महकमा उसके लाइसेंस के लिए संस्तुति करता रहा और उसका शस्त्र लाइसेंस का लगातार नवीनीकरण होता रहा। पुलिस के मुताबिक वर्ष 2019 में उसने लाइसेंस का नवीनीकरण कराया था। विधानसभा चुनाव में पुलिस ने उसकी राइफल जमा भी कराई थी।थाने से उठा ले गया था राइफलआचार संहिता समाप्त होने के बाद वह थाने से राइफल उठा लाया था। सीओ हरपालपुर अशोक त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2019 में लाइसेंस के नवीनीकरण कराए जाने की बात सामने आई है। लाइसेंस धारक के दिव्यांग होने व इसके बाद नवीनीकरण कराए जाने आदि के बिंदुओं पर जांच की जा रही है।प्रत्येक तीन वर्ष में होता है शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरणशस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण प्रत्येक 3 वर्ष में होता है। इसके लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। शस्त्र नवीनीकरण के लिए एक तय धनराशि चालान के माध्यम से जमा करनी होती है। इस दौरान शस्त्र नवीनीकरण के लिए थाने से एक रिपोर्ट कलेक्ट्रेट स्थित शस्त्र अनुभाग में जाती है। जिसके आधार पर ही शस्त्र का नवीनीकरण होता है अगर पुलिस संस्तुति जाहिर करती है तो!नवीनीकरण के दौरान नहीं होती है संस्तुतिनवीनीकरण के दौरान विभाग भी शस्त्र धारक को शस्त्र के साथ बुलवाता है। जिसके लिए बकायदा एक तिथि नियत की जाती है। ज्यादातर मामलों में ये देखने में सामने आया है कि पुलिस अपराधिक इतिहास या वांछित अपराधियों पर अमूमन शस्त्र के निरस्तीकरण की कार्रवाई पहले ही अमल में ला चुकी होती है, या नवीनीकरण के दौरान उसकी संस्तुति नहीं देती है। लेकिन बाकी मामलों में कुछ ले देकर बिना शस्त्र धारक के जाए ही संस्तुति की रिपोर्ट लगकर विभाग को भेज दी जाती है।एसडीएम ने खुश होकर दिया था रायफल का लाइसेंसघटना के बाद जब गांव में ने पड़ताल की तो पता चला कि 25 वर्ष पहले बेटा गोकुल के सैदपुर गांव में डकैती के इरादे से कुछ डकैत आए थे। तब गफूर के पास एक लाइसेंसी बंदूक थी और उसकी दम पर उसने गांव से डकैतों को भगा दिया था। गफूर की हिम्मत के दम पर डकैत गांव से कुछ भी ले जाने में असफल रहे थे। जिस बात से तत्कालीन एसडीएम बेहद खुश हुए थे और उन्होंने गफूर को बुलाकर उनकी बंदूक के लाइसेंस की जगह उनको नई राइफल की लाइसेंस दी थी।

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