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20 छात्र-छात्राएं नदी में गिरे; छात्रा बोली- बीच धारा में डूबती तो कोई नहीं बचता

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अनूपपुर: अनूपपुर जिले में सोन नदी में गुरुवार को स्कूली विद्यार्थियों से भरी नाव पलट गई। सभी बच्चे पढ़ाई करने के लिए नव से नदी पार कर स्कूल जा रहे थे। नदी के दूसरे छोर पर पहुंचते ही नाव पानी में समा गई। नाव में 20 विद्यार्थी सवार थे। गनीमत रही कि हादसे के बाद सभी विद्यार्थियों को सुरक्षित निकाल लिया। यहां से छात्राओं को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।यह हादसा जिला मुख्यालय से महत 20 किमी दूर ग्राम पंचायत कैल्होरी के चचाई में हुआ। यहां शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने के लिए कई विद्यार्थी सोन नदी को पार करके आते हैं। गुरुवार को भी बकेली, पोड़ी, कोदयली, खाडा, मानपुर सहित अन्य गांव के 20 विद्यार्थी स्कूल जा रहे थे। नाव डूबने से दो छात्राएं घायल हो गई। छात्रा खुशी केवट और चांदनी केवट को कमर और पैर में चोट लगी है। उन्हें घबराहट होने के बाद गुरुवार दोपहर में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।नदी में नाव डूबने के बाद बैग सहित अन्य सामान निकालते विद्यार्थी व स्थानीय लो।छात्रा बोली- बीच धारा में नाव डूबती तो हम नहीं बचतेहादसे का शिकार हुई छात्रा खुशबू पटेल ने बताया कि नाव में कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थी थे। इनमें 18 छात्राएं और दो छात्र थे। नदी के दूसरे किनारे पर पहुंचते ही नाव डूब गई। नाव डूबते ही चीख पुकार मच गई। गनीमत रही कि नदी का किनारा था, यहां गहराई कम थी। नाविक और तट पर मौजूद लोगों ने हमको सुरक्षित निकाला। दो दिन से क्षेत्र में बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। नाव बीच धारा में डूबती तो शायद मैं और मेरे साथी नहीं बच पाते। नाव डूबने से हम घबरा गए थे। हमारी किताबें और कपड़े सब खराब हो गए।नाविक बोला- उतरने की हड़बड़ाहट में डूबी नावनाविक जगदीश केवट ने बताया कि रोज की तरह गुरुवार सुबह 10 बजे नदी के उस पार स्कूली बच्चों को छोड़ने जा रहा था। नाव में छात्र-छात्राएं बैठे थे। बकेली गांव से चलकर जैसे ही नाव सोन नदी के दूसरे छोर पर पहुंची तभी छात्र-छात्राओं ने उतरने की कोशिश। इसी हड़बड़ाहट में नाव अनियंत्रित होकर पानी में समा गई। सभी छात्र-छात्राओं को सुरक्षित निकाला। इसमें उनकी किताबें भीग गई। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी भी छात्र-छात्राओं को चोट नहीं आई।सात साल ये हो रहा पुल का निर्माणगांव के लोगों ने बताया कि नदी पर पुल का काम अधूरा होने के कारण उन्हें रोज जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करनी पड़ती है। इसके लिए एक फेरे के 20 रुपए किराया देना पड़ता है। क्षेत्र के करीब 10 गांव के विद्यार्थी पढ़ाई करने के लिए चचाई आते हैं। यहां पुल बनाया जा रहा है। करीब सात साल बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सका है। चार साल से पुल का 20 फीसदी काम अटका पड़ा है।सात साल बाद भी पुल का काम पूरा नहीं हो सका है।नाव से बच्चों को स्कूल भेजेने पर लगाई रोकइसकी सूचना तुरंत कोतवाली पुलिस को दी। सूचना मिलने पर एसपी अखिल पटेल, एसडीओपी कीर्ति बघेल, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति रमेश सिंह, कोतवाली थाना प्रभारी अमर वर्मा मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों से घटना के संबंध में जानकारी ली। एसपी ने नाव से छात्रों को नदी पार कराने पर रोक लगाने के निर्देश दिए।सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे अफसर और जनप्रतिनिधि।कुछ देर बाद ग्रामीणों ने नाव को नदी से बाहर निकाल लिया।नदी के पानी से बच्चों के बस्ते व किताबें भीग गई।ग्रामीण बोले- पुल बनने तक बच्चों को बस से भिजवाएं स्कूलग्रामीणों ने कहा कि नाव को बंद करने से स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। ग्रामीणों ने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बस सुविधा की मांग की है। इसको लेकर शुक्रवार को ग्रामीण कलेक्टर को ज्ञापन देंगे। इसमें पुल का निर्माण जल्द कराने व निर्माण होने तक बच्चों को बसों से स्कूल भेजने की मांग करेंगे।नदी पर पुल अधूरा होने और नाव के जोखिम को लेकर ने कुछ दिन पहले ही खबर प्रकाशित की थी। इसमें जिम्मेदारों का ध्यान आकर्षण कराया था।

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