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15 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 35ए से आजाद करने के लिए बनेगा रोडमैपजम्मू। अनुच्छेद 35ए से जम्मू-कश्मीर को आजाद करने के लिए अगले माह 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के बाद नई दिल्ली में होने वाली एक उच्चस्तरीय बैठक में इसका रोडमैप तैयार किया जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों और कानूनविदों को एक रोडमैप तैयार करने के लिए कहा है। सूत्रों की मानें तो किसी भी हंगामे से बचते हुए जम्मू-कश्मीर में 35ए को समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रभावशाली कार्ययोजना तैयार करने के लिए संबंधित अधिकारियों की एक बैठक 15 अगस्त के बाद बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय कैबिनेट के कई मंत्रियों के अलावा सभी कैबिनेट सचिवों, जम्मू-कश्मीर मामलों से जुड़े केंद्र सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारियों, कानूनविदों और संविधान विशेषज्ञों को बुलाया गया है। कोई भी फैसला लेने का केंद्र सरकार का विशेषाधिकार : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने हाल ही में एक बयान में कहा कि यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अनुच्छेद 35ए पर कोई भी फैसला ले सकती है। भाजपा का इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं और इस दिशा में जो उचित होगा, कदम उठाया जा रहा है और उठाया जाएगा। कश्मीर में 35ए भंग करने की खबरें फैला डराया जा रहा : नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 35ए को भंग करने की खबरें फैलाकर लोगों को डराया जा रहा है। उमर ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि यह आश्चर्य की बात है कि घाटी में लोगों को सुरक्षा, शांति और विश्वास की भावना पैदा करने, कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के बजाए प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा लोगों को इस बात से डराने की कोशिश कर रहा है कि 15 अगस्त के बाद अनुच्छेद 35ए को भंग किया जा सकता है। कश्मीर में बड़े पैमाने पर हिंसा फैल सकती है। क्या है अनुच्छेद 35ए : यह अनुच्छेद गैर रियासती लोगों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, स्थायी तौर पर बसने और राज्य सरकार के अधीन किसी विभाग में नौकरी के अधिकार से वंचित करता है। यह अनुच्छेद राज्य विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए राज्य की स्थायी नागरिकता, उनके लिए राज्य सरकार के अधीनस्थ नौकरियां व अन्य विशेषाधिकारों को यकीनी बनाने का अधिकार देता है। इस अनुच्छेद को समाप्त करने के लिए सर्वाेच्च न्यायालय में विभिन्न जनहित याचिकाएं भी विचाराधीन हैं। बताया जाता है कि अनुच्छेद 35ए को राष्ट्रपति के आदेश के तहत जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया था। इसलिए इसे राष्ट्रपति के आदेश से भी समाप्त किया जा सकता है। 

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जम्मू। अनुच्छेद 35ए से जम्मू-कश्मीर को आजाद करने के लिए अगले माह 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के बाद नई दिल्ली में होने वाली एक उच्चस्तरीय बैठक में इसका रोडमैप तैयार किया जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों और कानूनविदों को एक रोडमैप तैयार करने के लिए कहा है।

सूत्रों की मानें तो किसी भी हंगामे से बचते हुए जम्मू-कश्मीर में 35ए को समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रभावशाली कार्ययोजना तैयार करने के लिए संबंधित अधिकारियों की एक बैठक 15 अगस्त के बाद बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय कैबिनेट के कई मंत्रियों के अलावा सभी कैबिनेट सचिवों, जम्मू-कश्मीर मामलों से जुड़े केंद्र सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारियों, कानूनविदों और संविधान विशेषज्ञों को बुलाया गया है।

कोई भी फैसला लेने का केंद्र सरकार का विशेषाधिकार :

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने हाल ही में एक बयान में कहा कि यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अनुच्छेद 35ए पर कोई भी फैसला ले सकती है। भाजपा का इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं और इस दिशा में जो उचित होगा, कदम उठाया जा रहा है और उठाया जाएगा।

कश्मीर में 35ए भंग करने की खबरें फैला डराया जा रहा :

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 35ए को भंग करने की खबरें फैलाकर लोगों को डराया जा रहा है। उमर ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि यह आश्चर्य की बात है कि घाटी में लोगों को सुरक्षा, शांति और विश्वास की भावना पैदा करने, कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के बजाए प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा लोगों को इस बात से डराने की कोशिश कर रहा है कि 15 अगस्त के बाद अनुच्छेद 35ए को भंग किया जा सकता है। कश्मीर में बड़े पैमाने पर हिंसा फैल सकती है।

क्या है अनुच्छेद 35ए :

यह अनुच्छेद गैर रियासती लोगों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, स्थायी तौर पर बसने और राज्य सरकार के अधीन किसी विभाग में नौकरी के अधिकार से वंचित करता है। यह अनुच्छेद राज्य विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए राज्य की स्थायी नागरिकता, उनके लिए राज्य सरकार के अधीनस्थ नौकरियां व अन्य विशेषाधिकारों को यकीनी बनाने का अधिकार देता है। इस अनुच्छेद को समाप्त करने के लिए सर्वाेच्च न्यायालय में विभिन्न जनहित याचिकाएं भी विचाराधीन हैं।

बताया जाता है कि अनुच्छेद 35ए को राष्ट्रपति के आदेश के तहत जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया था। इसलिए इसे राष्ट्रपति के आदेश से भी समाप्त किया जा सकता है।

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