बालाघाट: मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर हर साल की तरह परसवाड़ा के पास गांव पोण्डी में जिला स्तरीय बाल ग्वाल लोकनृत्य की प्रतियोगिता और मंडई का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में बालाघाट जिले के अतिरिक्त मंडला और सिवनी जिले के प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने शानदार बाल ग्वाल नृत्य का आकर्षक झांकियों के साथ प्रदर्शन किया।इस प्रतियोगिता में कुल 8 टीमों ने हिस्सा लिया। उन्होंने अपने परंपरागत वेशभूषा को पहनकर आकर्षक झांकियों के साथ प्रस्तुति दी। मंडई मिलन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद वाहिद शैख और उनकी पूरी टीम ने इस प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसका शुभारंभ जनपद पंचायत अध्यक्ष समल सिंह धुर्वे और पूर्व विधायक मधु भगत ने किया।प्रतियोगिता में कुल 8 टीमों ने हिस्सा लिया। जिला सिवनी के जतारा की ग्वाल टीम ने पहला इनाम जीता। वहीं द्वितीय स्थान मंडला जिले की अमझर की ग्वाल टीम ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान पर गोवा के गुदमा की ग्वाल टीम ने जीता। वहीं चौथा स्थान परसवाड़ा तहसील की ग्वार टीम को मिला। विजेता टीम को 7151 रुपए, द्वितीय पुरस्कार 5151 रुपए, तृतीय पुरस्कार 3151 रुपए और अन्य सभी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।पूर्व विधायक ने की मंडई मिलन समिति पोंडी की प्रशंसाइस अवसर पर पूर्व विधायक मधु भगत ने विजेताओं को पुरस्कार देते हुए कहा कि मंडई मिलन समिति पोंडी प्रशंसा के पात्र हैं। वह ऐसे आयोजन करके ग्रामीण पुरातन संस्कृति का संरक्षण कर रहे हैं। आज के समय में हम अपने पुराने रीति-रिवाजों से दूर जा रहे हैं। वहीं ग्राम पोंडी के लोग कई वर्षों से ऐसे आयोजन कर रहे हैं, जिसका अनुकरण अब अन्य जगहों में भी देखा जा रहा है !पूर्व विधायक ने किया यादव समाज की मांग का समर्थनइस दौरान पूर्व विधायक मधु भगत ने यादव समाज की अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल होने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मांग को रखा जाएगा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि अगर सभी जनप्रतिनिधियों का समर्थन एक मंच पर मिलता है, तो यादव समाज अनुसूचित जनजाति वर्ग का हिस्सा बनकर रहेगा !यदुवंशियों की परंपरागत पहचान को बचाना उद्देश्यमंडई मिलन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद वाहिद शेख ने बताया कि इस आयोजन की शुरुआत मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के रूप में की गई थी। पहले सिर्फ मण्डई मिलन का आयोजन किया जाता था। अब स्थानीय जनों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से इस आयोजन का स्वरूप थोड़ा बदला और इसे हमने मंडई के साथ-साथ बाल वाल मेले का रूप भी दिया। अब केवल बालाघाट ही नहीं पास जिले के बाल ग्वाल भी शामिल होकर इस आयोजन को भव्य रूप देते हैं। प्रतियोगिता सिर्फ एक जरिया है दरअसल हमारा उद्देश्य यदुवंशियों की परंपरागत पहचान को बचाना है और इसी उद्देश्य के तहत हम ऐसे आयोजन करते आ रहे हैं।
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