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विद्यार्थियों ने राजस्थान का प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य और कठपुतली नृत्य की प्रस्तुति देकर बांधा समां

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सागर: डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ. हरीसिंह गौर की 153वीं जयंती के अवसर पर गौर उत्सव सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के दूसरे दिन विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राजस्थान का प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य और कठपुतली नृत्य की प्रस्तुति देकर विद्यार्थियों ने समां बांधा।इस दौरान बीटी इन्स्टीटयूट ऑफ एक्सीलेंस मकरोनिया के विद्यार्थियों ने गणेश वंदना और देशभक्ति गीत की प्रस्तुति दी। वहीं टाइम्स कालेज दमोह के छात्र-छात्राओं ने कठपुतली नृत्य, समूह नृत्य और एकल नृत्य प्रस्तुत किया। बीकेपी महाविद्यालय मालथौन के विद्यार्थियों ने मूक अभिनय किया। इसके अलावा मराठी समूह नृत्य, डॉ. गौर के जीवन से संबंधित नाटिका, भजनों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मनमोहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल मौजूद रहे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और शहरवासी शामिल हुए।उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. गौर ने कहा था कि राष्ट्र का धन कल-कारखाने, मशीनों के पुर्जे और सोना-चांदी नहीं हैं बल्कि जीवित मनुष्य ही राष्ट्र का असली धन हैं। शिक्षा का मतलब जिम्मेदारी स्वीकारना और उसे पूर्ण करना है। बिना शिक्षा के दुनिया की चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सकता। जहां एक तरह दुनिया की महाशक्तियां युद्ध की रचना कर उसका सामना कर रही हैं। वहीं भारत पूरे विश्व में शांति का संदेश दे रहा है और सभी देश इस पर अमल कर रहे हैं। यही भारत की ताकत है।विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. पीके कठल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों का निर्माण और क्रियान्वयन कर रहा है। विश्वविद्यालय साप्ताहिक गौर उत्सव मना रहा है और साथ ही सागर शहर और बुंदेलखंड उनको नमन कर रहा है। यह डॉ. गौर के प्रति लोगों की श्रद्धा और प्रेम ही है। डॉ. गौर के आदर्शों पर हम नित दिन कार्य करें और अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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