न्यूयॉर्क टाइम्स के इंटरनेशनल प्रिंट एडिशन में 18 अगस्त को फ्रंट पेज पर दिल्ली की शिक्षा नीति पर रिपोर्ट पब्लिश की गई। जिसमें दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की तारीफ की गई थी।दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट (DoV) ने राजधानी के स्कूलों में बड़े घोटाले का दावा किया है। विभाग का कहना है कि दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2,405 क्लास रूम बनाने के दौरान केजरीवाल सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक 1300 करोड़ के घोटाले की रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंप दी गई है। साथ ही सरकारी एजेंसी के जरिए इसकी जांच की मांग भी की है।पहले जानिए मामला क्या हैअप्रैल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने PWD को दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2405 एक्स्ट्रा क्लासरूम बनाने का निर्देश दिया था। विजिलेंस ने क्लासरूम बनाने की जरूरत का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया और इसके आधार पर 194 स्कूलों में 7180 इक्विलेंट क्लासरूम (ECR) बनाए जाने का अनुमान लगाया। जो 2405 क्लासेस के मुकाबले तीन गुना था।AAP सरकार ने ढाई साल तक दबाया मामलाCVC ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में PWD के दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हुए भ्रष्टाचार को बताया। विभाग ने रिपोर्ट भेजकर DoV से जवाब मांगा था। लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने ढाई साल तक इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया। इसके बाद अगस्त 2022 में दिल्ली LG ने मुख्य सचिव को निर्देश देकर देरी की जांच करके रिपोर्ट देने कहा।DoV की रिपोर्ट में क्या थाविभाग ने जो रिपोर्ट दी उसमें बताया गया कि टेंडर प्रोसेस में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ। साथ ही कई निजी लोगों का रोल भी उजागर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर 205.45 करोड़ रुपए एकस्ट्रा खर्च आया।गैर संवैधानिक एजेंसियां/व्यक्ति (जैसे मैसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स) एडमिनिस्ट्रेशन चला रहे थे और अधिकारियों के लिए नियम और शर्तें बना रहे थे। पूरा प्रशासन इन नियमों का पालन करवा रहा था।बिना टेंडर प्रोजेक्ट को दिए 500 करोड़CVC केंद्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त 2019 को क्लासरूम कंस्ट्रक्शन में भ्रष्टाचार और लागत बढ़ने की शिकायत मिली थी। बेहतर सुविधाओं के नाम पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 90% तक बढ़ाई गई। दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के 500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी को मंजूरी भी दे दी।साथ ही कहा गया कि जीएफआर, सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल का जमकर उल्लंघन करते हुए घटिया क्वालिटी का अधूरा काम किया।1214 टॉयलेट को बता दिया क्लासरूमइस प्रोजेक्ट के लिए 989.26 करोड़ रुपए दिए गए थे। टेंडर वैल्यू 860.63 करोड़ रुपए थी। प्रोजेक्ट में कुल 1315.57 करोड़ रुपए खर्च हुए। कोई नया टेंडर दिए बिना एक्स्ट्रा काम किया जा रहा था। इससे कॉस्ट 326.25 करोड़ रुपए तक बढ़ गई, जो टेंडर के लिए सेंक्शन अमाउंट से 53% ज्यादा है।रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 194 स्कूलों में 160 टॉयलेट्स बनाए जाने थे, लेकिन 37 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा खर्च करके 1214 टॉयलेट बनाए गए।दिल्ली सरकार ने इन टॉयलेट को क्लासरूम बताया और 141 स्कूलों में केवल 4027 क्लासरूम ही बनाए।
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