Breaking
पुलिस ने कसा शिकंजा तो तस्करों ने बदला ठिकाना और पैंतरा, ट्राली बैग से ला रहे गांजा इंदौर के बिजलपुर में शनिवार को घर से लापता हुई 6 साल की बच्ची की लाश नाले में मिली सिंगरौली में ट्यूब के सहारे नदी में तैर रही बालिका डूबी ... बचाने में साथियों के साथ पिकनिक पर गए 3 ... खाद के लिए छतरपुर की मंडी परिसर में गोदाम पर आपस में भिड़े किसान भितरवार में 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा पटवारी छिंदवाड़ा, कटनी व दमोह के ग्रामीण क्षेत्र दिखे बाघ और मगरमच्‍छ, ग्रामीण भयभीत जबलपुर की जीआईएफ आयुध निर्माणी में बैरल काटते वक्‍त ब्‍लास्‍ट, घायल कर्मी अस्‍पताल में भर्ती बोर्ड परीक्षाओं में एक केंद्र पर रह सकेंगे अधिकतम 250 परीक्षार्थी, नकल रोकने के लिए कवायद बुरहानपुर में तहसीलदार का रीडर रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, नामांतरण के लिए मांगे थे रुपये MP में निवेश को बढ़ाने CM मोहन यादव पहुंचे लंदन, गर्मजोशी के साथ हुआ स्वागत

इतिहास में ऐसा तीसरा, 4 साल में दूसरा मौका; 2 जजों ने 32 केस सुने

Whats App

नई दिल्ली: जस्टिस हिमा कोहली (बाएं) और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी (दाएं)।अमूमन सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की अलग बेंच नहीं बनती। लेकिन गुरुवार को सिर्फ महिला जजों की बेंच बनी। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच कोर्ट नंबर 11 में बैठी। बेंच ने 32 मामलों में सुनवाई की। इनमें 10 वैवाहिक विवाद के थे। 11 जमानत से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाओं और अन्य 11 अलग-अलग विवादों से जुड़े थे।सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आदिश चंद्र अग्रवाला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह तीसरा मौका था। पहली बार साल 2013 में जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की बेंच बनाई गई थी। दूसरा मौका साल 2018 में आया। तब जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच गठित की गई थी।सुप्रीम कोर्ट में महिला जजसुप्रीम कोर्ट में 3 महिला जज हैं। जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी। जस्टिस नागरत्ना 2027 में पहली महिला सीजेआई बन सकती हैं।1989 में जस्टिस एम. फातिमा बीवी के रूप में सुप्रीम कोर्ट को पहली महिला जज मिली थी।सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अब तक 10 महिलाएं जज रह चुकी हैं।सुप्रीम कोर्ट में एक दिन में अधिकतम 3 महिला वकीलों ने दलीलें पेश की हैं। ऐसा 33 बार हो चुका है।इंसाफ की कुर्सी पर क्या महिला और क्या पुरुष… भेद न ही हो तो बेहतरपहली बेंच का हिस्सा रहीं जस्टिस रंजना देसाई ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली संपूर्ण महिला पीठ की सदस्य होने के तौर पर मेरा नाम जुड़ा है। मेरे साथ दूसरी सदस्य जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा थीं। हालांकि मेरा निजी मत है कि ऐसा भेद न ही हो तो बेहतर। इंसाफ की कुर्सी पर क्या महिला और क्या पुरुष। महिलाएं भी तो उतनी ही बुरी या उतनी अच्छी हो सकती हैं, जितने बुरे या अच्छे पुरुष हो सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुर्सी पर महिला थीं या पुरुष। न्यायाधीश चुने जाने का आधार या मानक पुरुष या महिला नहीं होता। चयन और नियुक्ति मेरिट के आधार पर ही होती है।

पुलिस ने कसा शिकंजा तो तस्करों ने बदला ठिकाना और पैंतरा, ट्राली बैग से ला रहे गांजा     |     इंदौर के बिजलपुर में शनिवार को घर से लापता हुई 6 साल की बच्ची की लाश नाले में मिली     |     सिंगरौली में ट्यूब के सहारे नदी में तैर रही बालिका डूबी … बचाने में साथियों के साथ पिकनिक पर गए 3 डॉक्टर समेत पांच डूबे, एक की मौत     |     खाद के लिए छतरपुर की मंडी परिसर में गोदाम पर आपस में भिड़े किसान     |     भितरवार में 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा पटवारी     |     छिंदवाड़ा, कटनी व दमोह के ग्रामीण क्षेत्र दिखे बाघ और मगरमच्‍छ, ग्रामीण भयभीत     |     जबलपुर की जीआईएफ आयुध निर्माणी में बैरल काटते वक्‍त ब्‍लास्‍ट, घायल कर्मी अस्‍पताल में भर्ती     |     बोर्ड परीक्षाओं में एक केंद्र पर रह सकेंगे अधिकतम 250 परीक्षार्थी, नकल रोकने के लिए कवायद     |     बुरहानपुर में तहसीलदार का रीडर रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, नामांतरण के लिए मांगे थे रुपये     |     MP में निवेश को बढ़ाने CM मोहन यादव पहुंचे लंदन, गर्मजोशी के साथ हुआ स्वागत     |