इस बारे में मोहन ने कहा भारत में ओईसीएमएस के लिए असीम संभावना है इससे अपने 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को संरक्षित करने के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। भारत के राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के पूर्व अध्यक्ष विनोद माथुर ने कहा कि भारत ने ओईसीएमएस को परिभाषित करने के लिए 14 श्रेणी की वर्गीकरण प्रणाली बनाई है। उन्होंने कहा कि हालांकि इन ओईसीएमएस को संरक्षित करने के लिए स्थानीय समुदाय को जागरूक करने की आवश्यकता है।

मोहन ने कहा भारत के पास सभी स्थानीय निकाय में स्थापित 277123 जैव विविधता प्रबंधन समितियां हैं। हमारी वन्य पारिस्थितिकी के बाहर और इलाकों को जैवविविधता धरोहर स्थलों के तहत लाने की असीम संभावना है। उन्होंने कहा ये इलाके औषधीय पौधों और पक्षी से समृद्ध हो सकते है।