इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ द्वारा प्रदेश के नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर 12 दिसंबर को लगाई गई रोक को अब 20 दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया गया है। नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए दाखिल जनहित याचिका पर जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।
दरअसल, बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा देने के लिए तीन दिन का समय दिए जाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इससे पहले कोर्ट ने मामले में सरकार से पूरी जानकारी मांगी थी। सरकार की ओर से मंगलवार को कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए एक दिन का समय मांगा गया था। इस पर जस्टिस देवेंद्र कमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने समय देते हुए अगली सुनवाई बुधवार को तय की थी।
मामले में याची का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती, तब तक ओबीसी का कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता। जबकि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने अंतिम आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी। वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि 5 दिसंबर की अधिसूचना महज एक ड्राफ्ट आदेश है। इस पर सरकार ने आपत्तियां मांगी हैं। व्यथित अपनी आपत्तियां दाखिल कर सकता है। इस तरह अभी यह याचिका समय पूर्व दाखिल की गई है।
प्रदेश सरकार ने नगर निकायों में महापौर व अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने की स्थिति में प्रशासनिक व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके मुताबिक जैसे-जैसे नगर निकायों में कार्यकाल खत्म होगा, उसी क्रम में प्रशासकीय व्यवस्था लागू होती जाएगी। यानी नगर निगमों में नगर आयुक्त और पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारियों के पास सारा अधिकार चला जाएगा।
निकायों के बोर्ड का कार्यकाल पांच साल के लिए निर्धारित होता है। 2017 में हुए निकाय चुनाव का परिणाम आने के बाद बोर्ड का गठन 12 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच हुआ था। इस लिहाज से महापौर व अध्यक्षों का कार्यकाल इसी बार उस तिथि को समाप्त होगा जिस दिन बोर्ड की पहली बैठक हुई थी।