बता दें कि निगम के खातेदारों में भाजपा और कांग्रेस कार्यालयों पर भी वर्षों से टैक्स बकाया है। इन खातों में अधिकांश खाते बड़े संस्थान बिल्डर्स और ऐसी अवैध कालोनियों के मालिक हैं जहां से अभी तक निगम को सुविधाएं प्रदान करने या नगर पालिक अधिनियम के तहत आज तक टैक्स दिया ही नहीं गया है। हालांकि बकायादारों पर टैक्स की राशि तो तय लक्ष्य से कई ज्यादा है लेकिन अभी तक दिसंबर अंत तक बीस करोड़ की राशि इन लोगों से वसूलने पर जोर है। इसमें जल और संपत्तिकर के साथ निगम स्वामित्व के दुकानों का किराया शामिल है। दो दिन चले मंथन के बाद तय किया गया है कि वार्ड स्तर पर दस हजार से ज्यादा के बड़े बकायादारों पर वार्ड स्तर पर वसूली के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर पहल नहीं होगी। बल्कि वार्ड प्रभारियों को संबंधित खातेदारों को फोन करके या उनके घर जाकर वसूली करने के निर्देश दिए हैं।