सुप्रीम कोर्ट के ऊपर जिस तरीके से केंद्र सरकार के विधि मंत्री ने कॉलेजियम को लेकर मोर्चा खोला है। उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तल्खी बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमेशा जरूरी मामलों के लिए खुले रहते थे। आवश्यक होने पर वेकेशन रजिस्टार के समक्ष जाकर प्रकरण दर्ज कराया जा सकता था। रजिस्टार इसकी जानकारी मुख्य न्यायाधीश को देते थे। अर्जेंट मामला होने पर विशेष पीठ गठित कर दी जाती थी।

हाल ही में राज्यसभा में 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की लंबी छुट्टियों का मुद्दा उठा था। संसद में अदालत के अवकाश दिवसों में कमी करने की मांग की गई थी।
संविधान पीठ में 500 मामले पेंडिंग

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजूजी ने लोकसभा में जो लिखित जानकारी दी है। उसके अनुसार संविधान पीठ में 498 मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट में 13 दिसंबर तक 1667 लेबर 487 चुनाव 2870 जनहित याचिका 4321 विशेष अनुमति की याचिकाएं लंबित हैं। संविधान पीठ में कुछ ऐसी याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित हैं। सुनवाई होने के बाद कुछ फैसले के लिए सुरक्षित हैं। कुछ मामलों में जल्द ही सुनवाई होना तय मानी जा रही हैं। जो सरकार के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं।