बीजिंग। चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों से हालात बेकार होते जा रहे हैं। देश में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू कड़े नियमों के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी हुआ तब जनता के गुस्से को शांत करने के मकसद से नियमों में कुछ ढील दी गई है लेकिन जीरो कोविड रणनीति को बरकरार रखा गया। वहीं चीन में कोरोना के रोज नए मामलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को कमजोर बना दिया है चीन का दो साल केवल नागरिकों का टीकाकरण करने और अस्पताल के संसाधनों को मजबूत करने के लिए बर्बाद हो गया है। मौतों में इजाफे से श्मशान स्थलों में भी लंबी कतारें देखीं जा रही हैं।
चीन ने अपनी 1.4 अरब की आबादी से कहा है कि जब तक लक्षण गंभीर नहीं हो जाते तब तक घर पर अपने हल्के लक्षणों की देखभाल करें क्योंकि चीन के शहरों को फिर से संक्रमण की अपनी पहली लहर का सामना करना पड़ सकता है। बदतर हालात को देखकर विशेषज्ञों ने 10 लाख से अधिक मृत्यु का अनुमान लगाया है। देश में चौंकाने वाला आकड़ा 27 नवंबर को आया जब नए दैनिक मामले 40 हजार से पार हो गए। विश्लेषकों के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद का 65 प्रतिशत हिस्सा लेने वाले शहर किसी न किसी तरह के लॉकडाउन में है।
रिपोर्ट के अनुसार नवंबर तक 60 और उससे अधिक आयु के लगभग 2 करोड़ 70 लाख नागरिकों को कोविड का टीका नहीं लगाया गया है। लगभग 3 करोड़ 60 लाख बुजुर्गों को अभी तक वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं मिली है। 10 महीनों में राष्ट्रीय सरकारी चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल खर्च 22 प्रतिशत बढ़ गया है। यह 1.75 ट्रिलियन युआन (243 बिलियन डॉलर) हो गया है। अनुमान है कि अगर 90 प्रतिशत चीनी लोगों को हर दो दिनों में परीक्षण करने की आवश्यकता होती है इससे चीन अकेले कोविड टेस्टिंग पर सकल घरेलू उत्पाद का 2.3 प्रतिशत तक का खर्च कर सकता है।