मुंबई में एक ढाई साल का बच्चा कफ सिरप पिलाने के 20 मिनट बाद अचानक बेहोश हो गया (Kid Collapsed Cough Syrup Mumbai). करीब 17 मिनट बाद उसे वापस होश आया. धीरे-धीरे बच्चे का बल्ड प्रेशर और हार्ट रेट नॉर्मल हुआ. बच्चे की दादी एक डॉक्टर है जिन्होंने बेहोश होने के बाद तुरंत उसे CPR दिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्टके मुताबिक, घटना 15 दिसंबर की है. डॉक्टर मंगेशिकर के पोते को खांसी और सर्दी की शिकायत हुई तो उन्होंने कफ सिरप पिला दिया. डॉक्टर ने बताया कि करीब 20 मिनट बाद उनके पोते की नब्ज बंद हो गई और वो सांस भी नहीं ले रहा था. अस्पताल ले जाने के दौरान डॉक्टर ने लगातार पोते को CPR दिया. तब जाकर बच्चे की सांस लौटी. बताया जा रहा है कि सिरप किसी मल्टीनेशनल कंपनी द्वारा बनाई गई है.
डॉक्टरों के इस परिवार ने उस सिरप की जांच की तो पता चला कि उसमें क्लोरोफेनरामाइन और डेक्सट्रोमेथोर्फन के कंपाउंड का कॉम्बिनेशन है. डॉक्टर मंगेशिकर ने बताया,
“FDA ने चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस कंपाउंड के इस्तेमाल पर बैन लगाया है. लेकिन दवा पर ऐसा कुछ नहीं लिखा है और तब भी डॉक्टर इसे प्रिसक्राइब करते हैं.”
उनका मानना है कि खांसी की दवाई शायद ही कभी तीन या चार साल से कम उम्र के बच्चों को दिया जाना चाहिए. डॉक्टर ने कहा,“हमने जांच की लेकिन हमें उस खांसी की दवाई के अलावा कोई वजह नहीं मिली. किस्मत की बात है कि मैं उस वक्त घर पर थी और बच्चे को सीपीआर दे दिया. बाकी परिवारों में क्या होता है?”
मामला सामने आने पर कई डॉक्टरों के बयान भी सामने आए हैं. वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ विजय येवाले का कहना है कि बच्चे के बेहोश होने और खांसी की दवाई के बीच सीधा संबंध बनाना मुश्किल है. विजय येवाले राज्य सरकार के बाल चिकित्सा कोविड टास्क फोर्स के सदस्य रहे हैं. उन्होंने कहा,“मैंने कभी भी चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप की सिफारिश नहीं की. जुखाम और खांसी को गर्म सिंकाई या नेजल सेलाइन से भी ठीक किया जा सकता है.”
2017 में यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की एक प्रेस रिलीज में माता-पिता से आग्रह किया गया था कि वो खांसी जुकाम के लिए शहद-नींबू का यूज करें और ओवर-द-काउंटर कफ सिरप और दवाओं का इस्तेमाल करने से बचें.