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बालक फतेह सिंह और जोरावर सिंह जैसा बलिदान कहीं नहीं हुआ

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भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राष्ट्र की स्वतंत्रता और धर्म की रक्षा के लिए गुरू गोविंद सिंह जी के बेटों शहीद जोरावर सिंह और फतेह सिंह का बलिदान अतुलनीय है। छोटी सी आयु में उन्होंने शहादत दी। वीर बालकों के बलिदान को राष्ट्र आज भी याद करता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इन वीर बालकों की शहादत से नई पीढ़ी को अवगत करवाने के लिए प्रति वर्ष वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इस वर्ष 21 से 26 दिसम्बर की अवधि में विभिन्न कार्यक्रम हुए हैं। भोपाल में वीर बालकों के बलिदान पर केन्द्रित एक दीर्घा गुरु तेग बहादुर उद्यान में निर्मित की जाएगी। सिख समाज द्वारा प्राप्त सुझावों के अनुरुप आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री चौहान आज हमीदिया रोड स्थित गुरूद्वारा नानकसर, गुरुमत समागम में वीर बाल दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर नरेन्द्र सलूजा उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने सिख गुरू, गुरू गोविंद सिंह जी के दो बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान का स्मरण कर श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री चौहान ने वीर बालकों के बलिदान पर केंद्रित कविता भी सुनाई:

कहीं पर्वत झुके भी है, कहीं दरिया रुके भी है।

नहीं रुकती रवानी है, नहीं झुकती जवानी है॥

गुरु गोविंद के बच्चे, उम्र में थे अगर कच्चे।

मगर थे सिंह के बच्चे, धर्म ईमान के सच्चे॥

मुख्यमंत्री चौहान ने प्रारंभ में गुरूद्वारे में गुरू ग्रंथ साहब के समक्ष मत्था टेककर नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने जागृति मार्च का वाहन भी रवाना किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बालक फतह सिंह और जोरावर सिंह जिन आदर्शों के लिए जिये थे, आज गुरूद्वारा में बालक-बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम में वे देखने को मिले हैं। गुरूओं के ज्ञान और कविताओं के माध्यम से बच्चों ने शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। सिद्धांतों से समझौता न कर बालकों द्वारा किए गए बलिदान की घटना ऐतिहासिक है। माता-गूजरी ने भी असहनीय पीड़ा सही। इसके बावजूद माता गूजरी और बालकों के चेहरे पर भय के भाव नहीं आए थे। जब बालकों को दीवार में चुनवाया जा रहा था, तब भी वे मुस्कुरा रहे थे। ऐसी शहादत कहीं नहीं हुई।

मुख्यमंत्री चौहान के अलावा रिंकू ने भी गुरूद्वारा परिसर में विशेष गुरूमत समागम में उपस्थित नागरिकों को संबोधित किया।

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