देश में कालेधन की रोकथाम के लिए सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम में कुछ बदलाव किए हैं. जिससे प्रॉपर्टी की खरीद और बिक्री के लिए होने वाली डील के जरिए काली कमाई करने वालों पर लगाम लगाई जा सके. वित्त मंत्रालय अपने ग्राहकों की ओर से फाइनेंशियल लेनदेन करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कंपनी सचिवों और लागत और कार्य एकाउंटेंट्स को मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में लाया है. हालांकि, वकीलों और कानूनी पेशेवरों को पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में नहीं आएंगे.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कानून के तहत सजा की कम दर को देखते हुए सीए, सीएस और सीडब्ल्यूए को शामिल करना अनावश्यक था. कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण, सीए, सीएस और सीडब्ल्यूए द्वारा कंपनियां स्थापित करने जैसी सेवाएं पीएमएलए के तहत आ गई हैं. पीएमएलए अधिनियम बहुत कठोर है और अनुपालन बहुत कठिन है. पीएमएलए में सजा की दर बहुत कम है लेकिन पूरी प्रक्रिया से गुजरना बेहद मुश्किल है.
विशेषज्ञों का कहना है कि जांच एजेंसियों को शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े संदिग्ध लेनदेन के खिलाफ अपनी जांच में मदद मिलने की उम्मीद है. कई सीए ने सोशल मीडिया पर बदलावों के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि ऑडिटर और कानूनी पेशेवरों को छोड़ दिया गया है. पीएमएलए कानून में बदलाव वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के तहत भारत के प्रस्तावित मूल्यांकन से पहले भी महत्व रखता है, जो इस साल के अंत में किए जाने की उम्मीद है. वहीं रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं से अपेक्षा की जाएगी कि वे सभी लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखें, क्योंकि इन्हें ईडी को देना आवश्यक होगा.