रायपुर । छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ के शराब घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है। सीएम बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए ईडी के जरिए साजिश रची जा रही है। यह (शराब) नीति भाजपा सरकार ने 2017 में बनाई थी। 2017-18 में आबकारी मद से ₹3900 करोड़ की प्राप्ति हुई। हमारे शासनकाल में यह बढ़कर ₹6000 करोड़ हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा, सीएजी तो भारत सरकार का विभाग है। सीएजी ने छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी विभाग को क्लीनचिट दी है। जब राजस्व में 1.5 गुना से अधिक वृद्धि हो गयी तो ईडी का आरोप तो वैसे ही असत्य साबित हो जाता है। सीएम बघेल ने कहा, ईडी द्वारा लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं। केंद्रीय एजेंसियां भाजपा के राजनीतिक एजेंट के रूप में काम कर रही हैं। ईडी का काम चुनाव में बीजेपी की मदद करना है।
ईडी ने पकड़ा छत्तीसगढ़ में पकड़ा दो हजार करोड़ का घोटाला
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने 500 करोड़ के कोयला परिवहन घोटाले के बाद अब दो हजार करोड़ का शराब घोटाले को पकड़ा है। ईडी ने शनिवार को शराब कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे चार दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। ईडी ने रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को शराब सिंडिकेट का सरगना बताया है।
सरकारी दुकानों में बेची जाती थी अवैध शराब
इससे पहले नवंबर 2022 में ईडी ने कोयला परिवहन घोटाले में आइएएस समीर बिश्नोई, राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया था, जो अभी जेल में हैं। ईडी की जांच में सामने आया है कि साल 2019-22 में राज्य में शराब की कुल बिक्री का करीब 30-40 फीसद अवैध बिक्री हुई। इससे 1200-1500 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा हुआ। ईडी ने शराब घोटाले को लेकर मार्च में कई स्थानों पर तलाशी और छापेमारी की थी।
ईडी की ओर से जारी बयान के अनुसार, अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। इस सिंडिकेट में शराब कारोबारी, नेता और उच्च प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। इस सिंडिकेट को प्रदेश में बिकने वाली शराब की हर बोतल से अवैध राशि प्राप्त होती थी। छत्तीसगढ़ राज्य में बेची जाने वाली शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से पैसा एकत्र किया जा सके। ईडी ने कोर्ट में पेश आरोप पत्र में कहा है कि अनवर ढेबर इस पूरे अवैध धन के संग्रह के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इस घोटाले का अंतिम लाभार्थी नहीं है। एक प्रतिशत कटौती के बाद उन्होंने शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को दे दी थी।