रायपुर। प्रदेश के सालाना 10 हजार करोड़ से अधिक के दवा कारोबार पर अब रिलायंस और टाटा जैसी कंपनियों की नजर है। इन कंपनियों द्वारा दवा उपभोक्ताओं के लिए राज्य के सभी जिलों में जगह-जगह मेडिकल दुकान खोलने की योजना है। रिलायंस कंपनी द्वारा राजधानी में करीब 12 मेडिकल स्टोर के माध्यम से इसकी शुरुआत की जा चुकी है। वहीं टाटा कंपनी भी दवा दुकानें जल्द ही खोलने की तैयारी में है।
इन सबके बीच राज्य के थोक दवा व्यापारियों की चिंताएं बढ़ गई है। इसका कारण दवा कंपनियों द्वारा कारपोरेट हाउस और थोक दवा व्यापारियों के लिए दवाओं की अलग-अलग कीमत है। दवा कंपनियां कारपोरेट हाउस या बड़ी कंपनियों को कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध करा रही हैं, इससे बड़ी कंपनियां बाजार में भी कम कीमत पर दवाएं दे रही हैं, जबकि थोक दवा व्यापारियों को वही दवाएं अधिक कीमत पर दी जाती हैं।
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइजिंग अथारिटी के अंतर्गत नियंत्रित मूल्य की दवाओं पर थोक दवा व्यापारियों को आठ फीसद व चिल्हर दवा व्यापारियों को 16 फीसद लाभ का प्रविधान है। रायपुर दवा संघ के सचिव लोकश साहू ने बताया कि दवा कंपनियों द्वारा कारपोरेट हाउस व दवा व्यापारियों के लिए अलग-अलग खरीदी मूल्य और अंतर को लेकर राज्य के व्यापारियों ने राष्ट्रीय स्तर पर कंपनी व दवा संघ के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा है। बता दें कि राज्य में 3,000 से अधिक मेडिकल दुकानें हैं। बड़ी कंपनियों द्वारा दवा बाजार में उतरने पर यहां अधिक दवा दुकानें खुलेंगी।
दवा कंपनियों से सस्ती दवाएं मिलती हैं
राज्य में बड़ी कंपनियां मेडिकल दुकानों के माध्यम से दवा बाजार में उतर रही हैं। दवा कंपनियों द्वारा इन्हें सस्ती दर पर दवाएं मिलने से ये कम मार्जिन में दवां विक्रय करती हैं, जबकि दवा निर्माता कंपनियां हमें अधिक कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हमने इस समस्या को लेकर दवा कंपनियों व दवा संघ से शिकायत की है।
-विनय कृपलानी, अध्यक्ष, रायपुर दवा संघ