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अस्पताल की व्यवस्था बेपटरी वार्ड में वेस्ट मटेरियल से भरा डस्टबिन

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मंडला। आइएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी से व्यवस्था बिगड़ गई है। न मरीजों की सही देखभाल समय पर हो रही है और ना ही समय पर सफाई हो रही है। दरअसल District Hospital में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बेहद कमी है।

परिजनों को पड़ रहा भुगतना

तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों में नर्सिंग स्टाफ को शामिल किया गया है और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों में वार्ड बाय स्वीपर, सफाईकर्मी आदि शामिल हैं। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या बेहद कम होने के कारण अस्पताल की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। इसका खामियाजा मरीज और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। जिला अस्पताल सिविल सर्जन डा विजय धुर्वे बोले- रिक्त पदों की भर्ती शासन स्तर पर की जाएगी। जिसके लिए पत्राचार किया गया है।

नहीं आते गंभीर मरीजों के बेड के पास

जिला अस्पताल में सबसे अधिक परेशानी उन मरीजों को उठानी पड़ रही है जो गंभीर हालत में वार्ड में भर्ती हैं। अधिक बीमार मरीजों के बेड पैन , मरहम पट्टी आदि को फेंकने अथवा यथा स्थान उसके प्रबंधन की जिम्मेदारी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों यानी स्वीपर आदि की होती है। मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के सफाई कर्मचारी वार्ड में मरीजों के पास फटकते ही नहीं और न ही उनकी कोई सेवा करते हैं। बल्कि परिजनों को ही मरहम पट्टी आदि मरीज के वेस्ट मटेरियल को फेंकना पड़ता है जबकि यह चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की ड्यूटी होती है। यदि उन्हें साफ सफाई के लिए कहा जाए तो वह चिड़चिड़ाते हैं और वार्ड से चले जाते हैं।

भरे रहते हैं डस्टबिन

जिला अस्पताल के प्रत्येक वार्ड के कमरे में डस्टबिन को रखा गया है। ताकि वेस्ट मटेरियल को उनमें इकट्ठा किया जा सके। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के कर्मचारियों की ड्यूटी होती है कि समय पर डस्टबिन के सफाई की जाए और कचरे का निपटान किया जाए लेकिन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी होने के कारण वार्ड के प्रत्येक कमरे में डस्टबिन की समय पर सफाई नहीं की जा रही है। इससे मरीजों के अनहाइजीन होने का खतरा बढ़ गया है।

100 से अधिक कर्मचारियों की कमी

जिला अस्पताल में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या में कमी होने के कारण व्यवस्थाएं बिगड़ रहे हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या 241 होनी चाहिए लेकिन वर्तमान में 186 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या 119 होनी चाहिए लेकिन मात्र 67 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा सेवाएं दी जा रही हैं। यानी उक्त दोनों श्रेणी में कुल 107 पद रिक्त पड़े हुए हैं

यही कारण है कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई है। जिसका खामियाजा मरीज और उनके परिजन उठा रहे हैं।

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