NavIC Vs GPS । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब से कुछ देर पहले अपना NVS-01 नेविगेशन (NavIC) सैटेलाइट लॉन्च कर दिया। यह लोकेशन ट्रेस करने के लिए भारत द्वारा भेजे गए NavIC सीरीज के नेविगेशन का एक पार्ट है। 2,232 किलोग्राम के GSLV उपग्रह ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। यहां जानें भारत के क्यों अहम है NavIC और इसके क्या प्रमुख सुविधाएं उपलब्ध होगी और यह कैसे अभी तक फ्री मिल रही गूगल लोकेशन सर्विस से अलग है –
जानें क्या है NavIC और भारत के लिए क्यों है खास
पड़ोसी देशों को भी मदद करेगा भारत
इन देशों के पास है खुद के नेविगेशन सिस्टम
ग्लोबल पोजिशनिंग सेटेलाइट के मामले में भारत ने भले ही देरी कर दी हो, लेकिन पूरी तैयारी के साथ और बेहतर टेक्नॉलॉजी के साथ आया है। गौरतलब है कि भारत के अलावा फिलहाल अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन के पास ही अपने खुद के लोकेशन ट्रेस करने वाले सेटेलाइट है। अभी तक भारत अमेरिकी GPS की सहायता ले रहा है। वहीं रूस के पास अपना GLONASS नेविगेशन सिस्टम है और चीन के पास BeiDou है, जो भारत की तरह ही एक क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है। यूरोप में Galileo नेविगेशन सिस्टम काम करता है।
NavIC के बारे में कुछ रोचक बातें
– भारत ने अपने नेविगेशन सिस्टम को विकसित करने के लिए कुल 7 उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित किए हैं।
– पृथ्वी की सतह से ये सभी सैटेलाइट भारत के साथ एक सीधी रेखा में स्थित है, क्योंकि ये रीजनल नेविगेशन सिस्टम है और सिर्फ भारत और आसपास के देशों की लोकेशन ट्रेस करेगा।
– ये उपग्रह 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड में एक पूरा चक्कर पूरा करते हैं, जो पृथ्वी की सटीक कक्षीय अवधि है इसलिए यह पूरी तरह से मेल खाता है।
– NavIC नेविगेशन सैटेलाइट में तीन रूबीडियम परमाणु घड़ियाँ भी लगी है, जो दूरी, समय और पृथ्वी पर आपकी सटीक स्थिति की गणना करती है।
– अमेरिकी नेविगेशन सिस्टम (GPS) 31 सैटेलाइट से गणना करके काम करता है और पूरी दुनिया की लोकेशन ट्रेस करता है, जबकि NavIC सिर्फ 7 सैटेलाइट से भारत व आसपास के देशों के लोकेशन ट्रेस करेगा।
– आने वाले कुछ सालों में इसरो भारत के नेविगेशन सिस्टम के विस्तार करने की योजना बना रहा है। सभी क्षेत्रों के लोकेशन प्राप्त करने के लिए 24 सैटेलाइट की आवश्यकता होती है।