स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी ने जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है और यही कारण है कि आजकल अधिकांश व्यक्तियों के हाथ में मोबाइल फोन जरूर दिखता है। संभवत: बगैर मोबाइल के किसी के लिए एक दिन भी रह पाना दूभर हो गया है। मोबाइल टेक्नोलॉजी में भी लगातार अपडेट आने के कारण लोग नए मोबाइल के ओर दौड़ पड़ते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बार-बार मोबाइल बदलकर आप भी धरती के पर्यावरण को बर्बाद करने के कसूरवार बन रहे हैं। आपको यह बात जरूर हैरान कर रही है लेकिन यहां इस बात को विस्तार से समझें –
30 से ज्यादा तत्वों से बनता है मोबाइल फोन
धातु के लिए धरती हो रही छलनी
मोबाइल निर्माण के लिए जरूरी तत्वों की पूरी के लिए धरती में खनन किया जाता है। इनमें से yttrium, terbium और dysprosium जैसी कुछ धातुएं तो काफी दुर्लभ हैं, जो आसानी से नहीं मिलती है, जो मोबाइल फोन में शाइनिंग के लिए इस्तेमाल की जाती है। मोबाइल फोन में वायरिंग के लिए तांबा, सोना और चांदी जैसी धातुओं का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। वहीं बैटरी में लिथियम और कोबाल्ट शामिल हैं। इन सभी धातुओं के लिए खनन लगातार होता है। ऐसे में यदि हम बार-बार मोबाइल बदलते हैं तो एक तरह से धरती के विनाश में ही योगदान देते हैं।
यूरोप में 2 साल में मोबाइल बदलता है हर व्यक्ति
मोबाइल में इस्तेमाल तत्वों की पूरी लिस्ट
Oil shale: आइल शेल में मौजूद तत्वों में से एक हाइड्रोजन का उपयोग मोबाइल फोन किया जाता है।
स्पोडुमेन: इसमें मौजूद लिथियम का इस्तेमाल मोबाइल फोन की बैटरी में किया जाता है।
बेरिल : मोबाइल फोन में कनेक्टर्स और तार बनाने के लिए बेरिलियम का उपयोग किया जाता है।
बोरेक्स: बोरॉन का उपयोग मोबाइल फोन में माइक्रोप्रोसेसर और कैमरा चिप में होता है।
डायमंड: हीरा कार्बन का एक रूप है, जो मोबाइल फोन की बैटरी में इलेक्ट्रोड बनाने के लिए उपयोग में आता है।
फ्लोराइट: फ्लोरीन का उपयोग मोबाइल के जरूरी पार्ट्स में किया जाता है।
हैलाइट: इसमें मौजूद सोडियम व क्लोरीन से टच स्क्रीन और केस तैयार होते हैं।
डोलोमाइट: इसमें मौजूद मैग्नीशियम से मोबाइल फोन केस तैयार होते हैं।
डायस्पोर: इससे एल्युमिनियम निकालकर मोबाइल फोन सर्किट बोर्ड तैयार होता है।
क्वार्ट्ज: इसमें मौजूद सिलिका से चिप्स और माइक्रोप्रोसेसर बनते हैं।
एपेटाइट : इससे फास्फोरस निकालकर चिप्स और माइक्रोप्रोसेसर तैयार होते हैं।
सल्फर: सल्फर का उपयोग मोबाइल फोन के सर्किट बोर्ड बनाने में किया जाता है।
ऑर्थोक्लेज़ : टच स्क्रीन ग्लास के लिए इससे पोटेशियम निकाला जाता है।
रूटाइल: इससे मोबाइल बॉडी के निर्माण के लिए टाइटेनियम निकाला जाता है।
क्रोकोइट: क्रोकोइट में पाए जाने वाले तत्व क्रोमियम से मोबाइल फोन केस बनते हैं।
मैंगनाइट : इसमें मौजूद मैंगनीज से मोबाइल फोन बैटरी बनाई जाती है।
Iron meteorite: मोबाइल फोन के स्पीकर और माइक्रोफोन में उपयोग
Cobaltoan spinel: कोबाल्ट का उपयोग मोबाइल फोन की बैटरी में होता है।
Nickeline: निकलिन में निकेल धातु होती है, जो बैटरी निर्माण में काम में आती है।
Copper : मोबाइल फोन में तार और कनेक्टर बनाने के लिए उपयोग
स्पैलेराइट: इसमें मौजूद जिंक, इंडियम व गैलियम का भी मोबाइल पार्ट्स में उपयोग
आर्सेनिक: आर्सेनिक का उपयोग मोबाइल फोन में माइक्रोप्रोसेसर और कैमरा चिप में
ब्रोमार्गाइट: इसमें मौजूद ब्रोमीन से मोबाइल फोन केस निर्माण में मदद
स्ट्रोंटियानाइट: इसमें स्ट्रोंटियम होता है, जो सर्किट बोर्ड बनाने में काम आता है।
Descrespignyite: इसमें yttrium होता है, जिसका उपयोग प्रोसेसर में होता है।
जिरकोन: इसमें मौजूद जिरकोनियम से सर्किट बोर्ड तैयार होता है।
Wulfenite: इसमें मोलिब्डेनम तत्व होता है, जो कनेक्टर्स बनाने के काम में आता है।
ग्रीनोसाइट: इससे कैडमियम मिलता है, जो बैटरी बनाने के लिए उपयोग में आता है।
कैसराइट: इसमें मिलने वाला टिन मोबाइल फोन के सर्किट बोर्ड में इस्तेमाल होता है।
Cassiterite : सर्किट बोर्ड बनाने के लिए इस्तेमाल
बैराइट: इसमें मौजूद बेरियम का उपयोग सर्किट बोर्ड बनाने के लिए होता है।
Columbite-tantalite: इसमें मौजूद टैंटलम से तार और कनेक्टर्स बनते हैं।
टंगस्टन: टंगस्टन का उपयोग स्पीकर और माइक्रोफोन में होता है।
प्लेटिनम: इसका उपयोग भी मोबाइल फोन सर्किट बोर्ड में होता है।
सिनेबार: इसमें पारा तत्व होता है, जो सर्किट बोर्ड में उपयोग में आता है।
गैलिना: इसमें लैड होता है, जो सर्किट बोर्ड बनाने में उपयोग होता है।
Bismuth: इससे मोबाइल फोन के तारों और कनेक्टर्स तैयार होते हैं।
लैंथेनाइड: इसमें लैन्थेनम होता है, मोबाइल के रंग और वाइब्रेशन में उपयोग होता है।
ज़िरसिलाइट: इसमें मौजूद सेरियम से टच स्क्रीन ग्लास बनता है।
मोनाजाइट: यह डिस्प्ले कलर्स और मोबाइल फोन की बैटरी में उपयोग आता है।