इंदौर। एमटीएच अस्पताल में नवजात की मौत और उसके शव के बजाय किसी अन्य का शव स्वजन को सौंपने के मामले को दबाने की अस्पताल कर्मचारियों ने भरपूर कोशिश की। नवजात का शव लेकर निकल चुके स्वजन को वापस बुलाने के लिए कभी कहा कि नवजात के फिंगर प्रिंट लेना है तो कभी कहा कि उसके हाथ पर पट्टी लगाना है। उन्होंने स्वजन को धमकाते हुए यह तक कह दिया कि नवजात का शव लेकर नहीं आए तो दस्तावेज तैयार नहीं हो पाएंगे। बावजूद जब स्वजन नवजात का शव वापस लाने को तैयार नहीं हुए तो उन्हें बताना ही पड़ा कि शव बदल गया है। पहले से परेशान स्वजन ने जब यह सुना तो उनके होश फाख्ता हो गए। वे तुरंत अस्पताल पहुंचे और शव बदलाकर ले गए।
नईदुनिया ने मामले की पड़ताल की तो कई खामियां सामने आईं। यह बात भी पता चली कि जिस नर्सिंग स्टाफ को शव स्वजन को सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह स्वयं काम करने के बजाय चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी के भरोसे थी। जिन तीन डाक्टरों को मेडिकल कालेज डीन ने नोटिस दिया था, उनमें से किसी ने भी शुक्रवार को इसका जवाब नहीं दिया।
नवजात की मौत के बाद तुरंत रवाना कर दिया
शुक्रवार को अस्पतालकर्मियों की लापरवाही का एक और गंभीर मामला सामने आया है। कसरावद की माधुरी पति संतोष ने 27 जून को बेटे को जन्म दिया था। तब बच्चे का वजन एक किलोग्राम था। अस्पताल के एनआइसीयू में उसका इलाज चल रहा था। बकौल संतोष गुरुवार देर रात करीब पौने 2 बजे अस्पताल प्रशासन ने उन्हें बताया कि बच्चे की मौत हो गई है। संतोष ने कर्मचारियों से कहा कि उसके पास व्यवस्था नहीं है। वह बच्चे का शव लेकर सुबह अपने गांव चले जाएगा, लेकिन कर्मचारी नहीं माने। उन्होंने कहा कि तुम कुछ भी करो, हमें मतलब नहीं। तुमको शव अभी ले जाना पड़ेगा। आखिर संतोष व माधुरी शव लेकर बाहर आए। पास में ही उसे दफनाया और जैसे-तैसे गांव रवाना हुए।
कर्मचारियों की बदसलूकी बड़ी समस्या
एमटीएच अस्पताल में इंदौर ही नहीं, आसपास के जिलों से भी नवजात रेफर किए जाते हैं। इनमें से कई की स्थिति गंभीर रहती है। अस्पताल के कर्मचारियों की बदसलूकी इनकी परेशानी को और बढ़ा देती है। अस्पताल के कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर पहले भी कई बार शिकायत हो चुकी है, लेकिन कुछ नहीं होता।
सांची से मंगवाते हैं दूध, न जांच, न गर्म करते हैं
अस्पताल में नवजात को दिए जाने वाले दूध की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। नवजात को दिए जाने वाला दूध सांची से मंगवाया जाता है, लेकिन न इसकी जांच होती है, न इसके गर्म करने की कोई व्यवस्था है।
व्यवस्था सुधारेंगे
एमटीएच अस्पताल की व्यवस्था सुधारी जाएगी। कर्मचारियों ने अगर किसी नवजात की मौत के बाद रात में शव ले जाने के लिए मजबूर किया है तो यह गलत है। दोषियों पर कार्रवाई करेंगे। -डा. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कालेज इंदौर
प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी
इंदौर। महाराजा तुकोजीराव होलकर चिकित्सालय (एमटीएच) में नवजात की मौत और शव बदलने की घटना के बाद आयुक्त डा. पवन कुमार शर्मा ने बड़ा बदलाव किया है। अब एमजीएम मेडिकल कालेज से संबद्ध अस्पतालों की व्यवस्था संचालन और समन्वय की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपी है। ये अधिकारी समय-समय पर अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे।
अब इनके भरोसे रहेंगे अस्पताल
एमवाय अस्पताल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, शासकीय कैंसर अस्पताल और मनोरमाराजे टीबी अस्पताल की जिम्मेदारी इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रामप्रकाश अहिरवार को सौंपी गई है। सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय की जिम्मेदारी एसडीएम अंशुल खरे, एक्सीलेंस फार आई पलासिया की जिम्मेदारी संयुक्त आयुक्त संजय कुमार सराफ, महाराजा तुकोजीराव होलकर अस्पताल की जिम्मेदारी उपायुक्त जानकी यादव व मानसिक चिकित्सालय बाणगंगा की जिम्मेदारी एसडीएम विनोद राठौर को सौंपी गई है। ये सभी मप्र लोक सेवा आयोग की अपर परीक्षा नियंत्रक सपना पंकज सोलंकी के मार्गदर्शन में काम करेंगे।