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पुराने भोपाल की गली शकीला बानो का है दिलचस्प इतिहास देश की पहली महिला कव्वाल से जुड़ा है नाता

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भोपाल। इतवारा की घनी आबादी के बीच बसे इस्लामपुरा की बेहद तंग गली में देश की पहली महिला कव्वाल शकीला बानो का नौ मई 1942 से बचपन गुजरा। उनकी आवाज और अदाकारी ने फिल्मी दुनिया तक में शोहरत पाई। इस गली में रहने वाले ज्यादातर लोग उन्हें नहीं जानते। उनकी जीवनी पर दो किताबें लिखी गईं। एक अकमल हैदराबादी ने और दूसरी भोपाल के रशीद अंजुम ने लिखी। उनकी याद में सरकार ने फतेहगढ़ में एक कम्युनिटी हाल बनाया है जिसका नाम शकीला बानो भोपाली रखा है।

किताब मोनोग्राफ पहली खातून कव्वाल शकीला बानो भोपाली लिखने वाले रशीद अंजुम बताते हैं कि वह उनकी पड़ोसी थीं। 12 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी, जो छह माह ही चल सकी। उसके बाद उन्होंने तलाक लिया और पूरा फोकस कव्वाली पर कर लिया। उनकी पहली महफिल नवाब हमीदुल्लाह साहब के जमाने में बेगम मेमना सुल्तान ने अपने जनान खाने में रखी थी, जिसमें सिर्फ बेगमें और परिवार की महिलाएं शामिल हुई थीं। यह इतनी सफल रहीं कि यहां से शकीला बानो परवान चढ़ने लगीं और फिर 1956 में बनी फिल्म नया दौर के कलाकारों के लिए भोपाल में उनकी कव्वाली की महफिल हुई, जिससे दिलीप कुमार बहुत प्रभावित हुए और उसके बाद शकीला मुंबई पहुंच गईं। जहां उन्होंने फिल्मों में गायकी के साथ अभिनय भी किया।

उनकी पहली फिल्म जंगल प्रिंस थी। लगभग 50 फिल्मों में गायकी और अदाकारी में शोहरत की ऊंचाइयों तक पहुंचकर वे वापस भोपाल लौट आईं और कमला पार्क स्थित रेत घाट पर रहने लगीं। यहां रहते हुए 1984 में गैस कांड की चपेट में बुरी तरह प्रभावित हुईं और बीमारी से लड़ते हुए 2002 को अंतिम सांस ली। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी उनके नाम से एक सम्मान भी देता है।

इसी गली में रहने वाले उर्दू अरबी फारसी के शिक्षक मुंशी अहमद खान के यहां 10 जुलाई 1921 को असद उल्लाह खान का जन्म हुआ, जो बाद में असद भोपाली कहलाए। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा भी मुंशी अहमद खान के शिष्यों में थे। असद भोपाली किशोरावस्था से ही शायरी करने लगे थे, उनके क्रांतिकारी लेखन के कारण उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी। अंग्रेज सरकार को अपने लेखन से उन्होंने बहुत परेशान किया था। 1990 में आई फिल्म मैंने प्यार किया में उनके गीतों ने धूम मचा दी और उन्हें भारत सरकार ने फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा। आज भी उनकी गली में स्थित घर के दरवाजे पर उनके नाम की नेम प्लेट लगी है।

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