उज्जैन। दसवीं कक्षा की फर्जी अंकसूची के मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। एक आरोपित फर्जी मार्कशीट बनवाकर डाक विभाग में 10 माह से नौकरी कर रहा था। जबकि दूसरे आरोपित ने 40 हजार रुपये में मार्कशीट बनाई थी। पुलिस तीसरे आरोपित की तलाश में बिहार के सारण गई थी। जहां से वह खाली हाथ उज्जैन लौटी है।
बता दें कि डाक विभाग ने शाखा डाकपाल के पद पर नियुक्ति निकाली थी। आवेदन आनलाइन मंगवाए गए थे। मुकेश कुमार पुत्र वकील यादव उम्र 24 वर्ष निवासी राजापुर का तोला एकाम, सारण, बिहार ने भी आवेदन किया था। नौकरी के आवश्यक दस्तावेजों में कक्षा दसवीं की मार्कशीट जरूरी थी।
मुकेश कुमार ने आंबेडकर इंटर कालेज मेरठ से दसवीं करना बताया था। मुकेश ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की अंकसूची लगाई थी। इसमें उसके 99 फीसद अंक थे। इस आधार पर मुकेश का 7 नवंबर 2022 को शाखा डाकपाल के पद पर चयन हो गया था।
डाक विभाग ने उसकी नियुक्ति ग्राम कचनारिया में की थी। विभाग ने बीते दिनों मुकेश के दस्तावेजों का सत्यापन करवाया था। पता चला कि मुकेश की अंकसूची फर्जी है। जिसके बाद आरोपित के खिलाफ नरवर पुलिस ने धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज कर लिया था। कोर्ट ने आरोपित को सात दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा था।
दो को जेल भेजा, तीसरा गिरफ्त से दूर
मुकेश ने पुलिस को बताया कि उसने 40 हजार रुपये देकर रामेश्वर पंडित निवासी ग्राम मीरहाता जिला सिवान बिहार से फर्जी अंकसूची बनवाई थी। जिसके आधार पर पुलिस ने सिवान से रामेश्वर पंडित को गिरफ्तार कर लिया था। आरोपित रामेश्वर ने पुलिस को बताया कि उसने भी अनुज कुमार निवासी सारण बिहार को रुपये देकर मुकेश की मार्कशीट बनवाई थी। जिसके आधार पर पुलिस अनुज की तलाश में सारण गई थी। मगर वहां से खाली हाथ लौट आई है। मंगलवार को मुकेश यादव रामेश्वर का पुलिस रिमांड खत्म् होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया है।