जबलपुर । जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियरिंग से लेकर मैकेनिकल, कमर्शियल, आपरेटिग और सिग्नल विभाग के ज्यादातर काम, निजी एजेंसियों के माध्यम से किए जा रहे हैं। स्टेशन की सफाई के काम से लेकर खाने के स्टाल, बेडरोल की धुलाई समेत निर्माण कायों को रेल मंडल ने टेंडर के जरिए निजी एजेंसियों को सौंपे हैं। जबलपुर रेलवे स्टेशन पर सफाई का ठेका भोपाल की एजेंसी को दिया गया है, लेकिन यह काम लोकल ठेकेदार देख रहा है।
सिर्फ काम की गुणवत्ता बिगड़ी और बल्कि ठेके की राशि भी बढ़ गई
गड़बड़ी यह हो रही है रेलवे ने जिस एजेंसी की योग्यता, दस्तावेज और काम देखकर जिम्मेदारी सौंपी, उसने, उस काम को पेटी पर दूसरे को थमा दिया, जिसके बाद न सिर्फ काम की गुणवत्ता बिगड़ी और बल्कि ठेके की राशि भी बढ़ गई। इसका खामियाजा रेलवे के साथ यात्रियों को भी उठाना पड़ रहा है। पेटी पर काम लेकर अयोग्य और लापरवाही ठेकेदार, यात्रियों को खराब गुणवत्ता का खाना परोस रहे हैं तो वहीं रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता भी खराब हो गई। इस वजह से रेलवे के पास आने वाली यात्रियों की शिकायत बढ़ गई है।
पेटी ठेकेदारों को बना दिया सुपरवाइजर-मैनेजर
यही हाल जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म एक से छह तक लगे अधिकांश स्टाल का काम जिस एजेंसी को मिला है, उन्होंने यह काम पेंटी पर ज्यादा पैसे लेकर स्थानीय ठेकेदार या फिर वेंडर को दे दिया है। पेंटी पर काम लेने के बाद मुख्य एजेंसी को पैसे देकर अपना मुनाफा बचाने के लिए ये ठेकेदार खाने की गुणवत्ता से खिलवाड़ कर रहे है। यही वजह है कि यात्रियों की सबसे ज्यादा शिकायत खाने को लेकर होती है। वहीं रेलवे की चाय से लेकर पानी भी महंगा बेचा जा रहा है। खास बात है यह है कि काम लेने वाली एजेंसी, पेटी ठेकेदार को दस्तावेजों पर सुपरवाइजर और मैनेजर दिखा दिया गया, ताकि वे कार्रवाई से बच सकें।
ऐसे होता है मुनाफे का खेल
जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग द्वारा जिस एजेंसी को पटरी बिछाने, स्टेशन पर निर्माण कार्य, बेडरोल की धुलाई, ट्रेन की सफाई का ठेका मिला, उसने अपना काम पेटी पर दूसरे ठेकेदार को थमा दिया। इससे मुख्य ठेकेदार डबल मुनाफा कमाता है। उसने रेलवे का काम लेकर उससे पैसा लिया और वहीं उस काम को पेटी पर दूसरे ठेकेदार को देने के बाद उससे भी ज्यादा पैसा वसूल लिया। जबलपुर मंडल में काम लेने वाली एजेंसी आैर ठेकेदार, इसे डबल मुनाफा कमा रहे हैं। खास बात यह है कि जिस ठेकेदार को पेटी पर काम दिया जाता है, वह रिकार्ड में न रहने की वजह से उनका न तो पुलिस वैरीफिकेशन होता है और न हीं किसी तरह की जांच की जा रही है।
इन विभागों में ज्यादा पेटी पर काम
- कमर्शियल विभाग में- खाने के स्टाल, सफाई, लीज, पार्सल और मालगाड़ी में ढुलाई से जुड़े काम
- इंजीनियरिंग विभाग- सड़क, नाली निर्माण, स्टेशन में सिविल वर्क, पुल और अन्य मराम्मत का काम
- मैकेनिकल विभाग- बेडरोल की धुलाई, सप्लाई, ट्रेनों और बाथरूम की सफाई के काम
रेलवे बोला, नियम विरुध, पर कागज नहीं मिले
जबलपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेक शील का कहना है कि जिस एजेंसी योग्यता और दस्तावेजों को देखकर काम दिया जाता है, उसे ही यह जिम्मेदारी निभानी होती है। यदि वह दूसरे को यह काम सौपता है तो यह नियम विरूध है। रेलवे उनके खिलाफ कार्रवाई करती है। ठेका लेने व यह काम किसी और को न दें, इसके लिए हम अपने स्तर पर भी जांच करते हैं, लेकिन कोई ऐसा दस्तावेज या सबूत नहीं मिलता, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि उन्होंने यह काम पेटी पर किसी और को दे दिया है। हम इसकी फिर से जांच करवाएंगे।