ग्वालियर। जिस तरह इंटरनेट के जरिये ठगी करने वाले ठग खुद को बचाने और पुलिस को उलझाने के लिए किराये के खातों का इस्तेमाल करते हैं, अब उसी तरह क्रिकेट पर सट्टा लगवाने वाले बड़े खाईबाज इस तरीके को अपना रहे हैं। यह खुलासा एमरल्ड सिटी में पकड़े गए उन युवकों ने किया है, जो खाईबाजों के यहां हर महीने दस हजार रुपये महीने पर नौकरी कर रहे हैं। यह युवक बेरोजगार थे और इन्हीं के गांव के रहने वाले खाईबाज ने नौकरी पर रखा। जिन खातों में सट्टे की रकम गई है, वह किराये के हैं।
दिल्ली और भिंड में रहने वाले पांच लोगों के खाते में करीब 10.50 लाख रुपये गए हैं। इन खातों में रुपये फ्रीज करा दिए गए हैं। यह सभी खाते आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से किराये पर लिए गए हैं। मुरार के बड़ागांव स्थित एमरल्ड सिटी के तीन फ्लैट में क्राइम ब्रांच और मुरार थाने की टीम ने दबिश दी थी। यहां से 12 सट्टेबाजों को पकड़ा गया था। इनसे 40 मोबाइल, लैपटाप और रायफल बरामद हुई थी। यह सभी नौकरी करते थे और भिंड के लहार के रहने वाले मधुर दुबे व हस्तिनापुर के रहने वाले संजय गुर्जर ने इन्हें नौकरी पर रखा था। यह दोनों खाईबाज हैं। यह अभी पकड़े नहीं गए हैं। एएसपी ऋषिकेष मीणा ने बताया कि हर दिन दो से ढाई लाख रुपये का ट्रांजेक्शन अलग-अलग राज्यों के बैंक खातों में हो रहा था। इसमें से पांच खातों में 10.50 लाख रुपये फ्रीज करवा दिए गए हैं। यह बैंक खाते दिल्ली और भिंड के रहने वाले लोगों के हैं।