नई दिल्ली। जातीय जनगणना का मामला तेज गति से सुलगता जा रहा है। बिहार के बाद राजस्थान की गललोत सरकार ने भी जातिय जनगणना कराने की घोषणा की है। इसी बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ओबीसी जनगणना कराने की केंद्र सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा कि मायावती ने कहा कि सरकार ओबीसी की राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना कराएं। ओबीसी को हक देने के लिए बैकलॉग भरे जाएं। महिला आरक्षण का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। मायावती ने कहा कि कांशी के सपनों को पूरा करने के लिए सत्ता की चाभी अपने हाथों में लें।
मायावती ने कहा कि वैसे तो घोर जातिवादी व आरक्षण विरोधी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस आदि अगले लोकसभा चुनाव से पहले वोटो के स्वार्थ के खातिर आज कल अपने आप को नया हितैषी दिखाने की होड़ में लगे है। दलित आदिवासी समाज के साथ बहुजन समाज के खास अंग ओबीसी वह धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग के हित के लिए बाबा साहब और कांशीराम का योगदान किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करके ओबीसी समाज को शिक्षा व सरकारी नौकरियों में 27 परसेंट आरक्षण देने के लिए दिल्ली बोर्ड क्लब आदि पर धरना देना बीएसपी का लंबे समय तक संघर्ष कौन भूल सकता है। मायावती ने कहा कि भाजपा की बहुप्रचारित विकास के लंबे चौड़े दो का थोड़ा भी वास्तविक लाभ हकदार और जरूरतमंदों को नहीं मिल पाता है। ऊपर से बढ़ती हुई महंगाई गरीबी बेरोजगारी तथा सड़क बिजली पानी शिक्षा और स्वास्थ्य आदि की बुनियादी जरूर की बदहाली का सबसे बड़ा प्रभाव बहुजन समाज व अपर कास्ट की गरीबों को ही हर प्रकार से झेलना पड़ता है और जनहित जनकल्याण के इन खास मामलों में कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारों को शुरुआत और गुनहगार है।