इंदौर। मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। आश्विन माह की मासिक शिवरात्रि 12 अक्टूबर को है। शिवरात्रि की तिथि पर ही देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए शिवरात्रि की तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान शिव की पूजा की जाए, तो मनचाहा फल प्राप्त होता है।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 12 अक्टूबर को शाम 7:53 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 13 अक्टूबर को रात 9.50 पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस प्रकार मासिक शिवरात्रि 12 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त समय – 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त समय – 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।
विजय मुहूर्त समय – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 02 बजकर 50 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त समय – शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त समय – रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक।
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 01:34 से 03:01 मिनट तक।
गुलिक काल – सुबह 09:14 से दोपहर 10:40 तक।
दिशा शूल – दक्षिण
ब्रह्म योग
मासिक शिवरात्रि में दुर्लभ ब्रह्म योग बन रहा है। यह योग 13 अक्टूबर को सुबह 10 बजे तक रहेगा। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा बरसती है।
शुक्ल योग
मासिक शिवरात्रि पर शुक्ल योग भी बन रहा है। यह योग सुबह 09:30 बजे तक रहेगा। शुक्ल योग को शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस योग में महादेव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
करण
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को गर करण प्रातः 06:47 बजे तक रहेगा। इसके बाद वणिज करण शाम तक है। शुभ कार्यों के लिए गर और वणिज करण सर्वोत्तम माने गए हैं।
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