खंडवा । दुष्कर्म के एक मामले में पीड़िता के बार-बार बयान बदलने पर न्यायालय ने संज्ञान लिया। अभियोक्त्री (अनावेदक) के द्वारा न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य देने से उसके विरुद्ध न्यायालय द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने की कार्रवाई की गई।
आरोपित दोषमुक्त
दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश प्रकाशचंद्र आर्य ने अभियुक्त दिनेश जगताप पुत्र रमेश जगताप को दोषमुक्त किया। पीड़ि(ता के विरुद्ध स्वयं संज्ञान लेते हुए उसके द्वारा असत्य कथन करने एवं बार-बार कथन बदलने पर परिवाद दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
यह था मामला
अभियोजन की घटना के अनुसार पीड़िता ने 28 दिसंबर 2020 को थाना पिपलोद में इस आशय की मौखिक सूचना दर्ज कराई। खेती मजदूरी का काम करती है। 27 दिसंबर को वह अपने खेत में चने निकालने जा रही थी। वह अपने खेत में अकेली थी। उस समय गांव का दिनेश सामने आया और उसका हाथ पकड़कर दुष्कर्म किया। दिनेश ऐसी हरकत उसके साथ तीन-चार बार कर चुका है, लेकिन उसके बड़े बच्चे होने से शर्म के कारण किसी को यह बात नहीं बताई। जब दिनेश ने यह काम किया तो उसने यह बात घर आकर उसके बड़े लड़के को बताई। फिर उसके लड़के ने अभियोक्त्री के भाई को बताया और थाने जाकर रिपोर्ट की आरोपी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया। पुलिस द्वारा अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।