उज्जैन । ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 23 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान जाएंगे। भगवान महाकाल साल में एक बार दशहरे पर शमी पूजा के लिए नए शहर फ्रीगंज आते हैं।
उज्जैन में पं.आशीष पुजारी ने बताया महाकाल मंदिर में ग्वालियर स्टेट के पंचांग अनुसार पर्व त्योहार मनाए जाते हैं। ग्वालियर के पंचांग में दशहरे पर निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी 23 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। इसलिए 23 अक्टूबर की शाम 4 बजे परंपरा अनुसार शाही ठाठ बाट के साथ भगवान की सवारी निकाली जाएगी।
मतांतर : 24 अक्टूबर को दशहरा
इस वर्ष पंचांगीय गणना में मतांतर के कारण राखी, जन्माष्टमी, गणेश स्थापना आदि त्योहारों के संबंध में भ्रम की स्थिति बनी रही। अब विजय दशमी पर्व की तिथि को लेकर कुहासा छाया है। महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार भगवान महाकाल विजय दशमी पर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान जाते हैं।
ग्वालियर के पंचांग अनुसार यह दिन 23 अक्टूबर को आ रहा है। जबकि अन्य पंचांगकर्ता 24 अक्टूबर को दशहरा पर्व बता रहे हैं। दशहरा मैदान सहित अन्य स्थानों पर 24 अक्टूबर को दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है।
रावण दहन नहीं, सर्वत्र विजय के लिए प्रस्थान का दिन
ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास ने बताया दशहरा रावण दहन का दिन नहीं है। यह सर्वत्र विजय के लिए प्रस्थान का दिन है। इस दिन राजा महाराज माता जया विजया व अपराजिता तथा शमी वृक्ष का पूजन कर राज्य विस्तार के लिए प्रस्थान करते थे। भगवान महाकाल अवंतिका के राजा हैं, इसलिए वे भी विजय पर्व दशहरा पर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान जाते हैं। इस दिन रावण दहन लोकरंजन के लिए किया जाता है।