इछावर। विधानसभा चुनाव आते ही सभी दलों के जनप्रतिनिधि लगातार जनता से लोग लुभावने वादे कर रहे हैं, लेकिन यह वादे धरातल पर कितने कामयाब होते हैं उसी की एक झलक इछावर ब्लाक के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में देखने को मिलती है।
इछावर ब्लाक के तहत आने वाली ग्राम पंचायत सारस और लोहा पठार में जाकर प्रदेश के चहुंमुखी विकास का पहिया रुका हुआ दिखाई पड़ रहा है। जिसके चलते सारस और लोहा पठार पंचायत के ग्रामीणों को तहसील मुख्यालय आने के लिए सैकड़ों वर्षों से बारह किलोमीटर के कच्चे रास्ते से गुजरना ही पड़ रहा है। इस कच्चे रास्ते के हालात बद से बदतर हैं। आलम यह है कि इस 12 किलोमीटर के रास्ते को तय करने में दो पहिया वाहन से भी लगभग एक घंटा लगता है।
ग्राम सारस अपनी पक्की सड़क का इंतजार वर्षों से कर रहा है। जिसके चलते लोहा पठार के ग्रामीणों को तहसील मुख्यालय आने के लिए पहले लोहा पठार से सारस चार किलोमीटर के कच्चे रास्ते से को पार करना पड़ता है फिर सारस से डाबरी तक 12 किलोमीटर के कच्चा रास्ते का सफर तय करना पड़ता है। जिसके चलते लोहा पठार के ग्रामीण कुल 16 किलोमीटर के कच्चे रास्ते को पार कर डाबरी स्थित पक्की सड़क पर पहुंचते हैं और सारस के ग्रामीणों को भी तहसील मुख्यालय पहुंचने से पहले यह 12 किलोमीटर का कच्चा रास्ता तय करना ही पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि हजारों बार यहां जनप्रतिनिधि आए और पक्की सड़क बनाने का सिर्फ वादा सौंप कर चले गए। जमीन पर काम कोई नहीं करता नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं और फिर भूल जाते हैं।
बारिश के चार महीने के दौरान टूट जाता है संपर्क
ग्राम पंचायत सारस के ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में हमारा तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है जिसका कारण है यह कच्चा रास्ता सामान्य बरसात होने से यह रास्ता कीचड़ दलदल में तब्दील हो जाता है फिर न तो यहां से दो पहिया वाहन निकल पाते हैं और न ही चार पहिया। स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थिति में ग्रामीण मुश्किल चार आदमी खटिया पर मरीज को लेटाकर यह 12 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। कई बार तो इस कच्चे रास्ते के चलते मरीज दम भी तोड़ चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी यहां कोई स्थिति में सुधार नहीं है।
इछावर विधानसभा क्षेत्र में होने के कारण हो रहा भेदभाव
ग्राम पंचायत सारस के ग्रामीणों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि डाबरी से सारस 12 किलोमीटर का रास्ता आजादी के बाद से अभी तक पूरा कच्चा है क्योंकि हमारा गांव इछावर विधानसभा में आता है। जबकि बीच में भूराखेड़ा से डाबरी जोड़ तक छह किलोमीटर की पक्की सड़क का निर्माण सरकार द्वारा कभी का किया जा चुका है, क्योंकि भूराखेड़ा क्षेत्र बुदनी विधानसभा में आता है। जिसके मुखिया खुद शिवराज सिंह चौहान है जबकि हम इछावर विधानसभा में होने की वजह से अभी तक पक्की सड़क की राह देख रहे हैं जबकि हमारी आबादी भी भूरा खेड़ा गांव से कई ज्यादा है। उसके बाद भी हम पक्की सड़क को तरस रहे हैं और वहां हमारी अपेक्षा कम उपयोग होने के बावजूद भी वहां पक्की सड़क बना दी गई है।
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधि व स्थानीय प्रशासन के प्रति जताई नाराजगी
ग्राम पंचायत सारस के ग्रामीण राजकुमार देवड़ा, दिनेश डुडवे, राहुल जमरे, कैलाश निंगवाल ने बताया कि देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का अमृत महोत्सव मना रहा है। जिले में भले पक्की सड़क का जाल बिछ गया हो और सड़कों पर बड़ी-बड़ी गाड़ियां तेज रफ्तार में चल रही हो, लेकिन जिले का एक हमारी सारस पंचायत इसी भी है, जहां आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक पक्की सड़क तक नहीं बनी। जिसकी वजह से विकास की बात करना यहां हमें बेमानी लगती है।
इस संबंध में ग्रामीण रहीस बरेला, किशन बरेला, लक्ष्मीनारायण, परवेश कर्मा, राकेश जायसवाल सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण गांव के ज्यादातर बच्चों को उच्च शिक्षा भी प्राप्त नहीं हुई है।
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। मैं संबंधित विभाग से बात कर जल्द ही ग्रामीणों की समस्याओं को हल किया जाएगा। -जमील खान, एसडीएम इछावर
मैं इस विषय पर सचिवों से जानकारी लेती हूं और आचार संहिता बाद सुदूर सड़क या मनरेगा के तहत यदि आता होगा तो उस रोड को बनवाते हैं। -शिवानी मिश्रा, सीईओ जनपद इछावर