भारत और कनाडा के बीच खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर जारी कूटनीतिक विवाद अब अलग मोड़ पर आ गया जिसमें पश्चिमी देशों की आलोचना से भारत को झटका लग सकता है। निज्जर हत्याकांड को लेकर जारी कूटनीतिक विवाद में अब अमेरिका आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी कूद पड़े हैं। अमेरिका, आस्ट्रेलिया और इंगलैंड ने इस मामले में कनाडा का समर्थन करते हुए भारत से आग्रह किया कि वह देश में ओटावा के अपने राजनयिक उपस्थिति को कम करने पर दबाव न बनाए। तीनों देश ने शुक्रवार को नई दिल्ली से कनाडा पर भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने पर जोर न देने का आग्रह किया और 41 राजनयिकों को बाहर निकालने को लेकर चिंता व्यक्त की। दरअसला, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के 41 कनाडाई राजनयिकों की ‘इम्युनिटी’ (राजनयिक छूट) को रद्द करने के फैसले का दबाव झेल रहे हैं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को कहा कि यह वियना संधि का उल्लंघन है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम कनाडा के राजनयिकों के भारत से प्रस्थान से चिंतित हैं।” उन्होंने कहा कि अमेरिका ने कनाडा के आरोपों को गंभीरता से लिया है और लंदन के साथ-साथ भारत से हत्या की जांच में कनाडा के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है, जबकि इससे पहले पश्चिमी शक्तियां भारत की खुले तौर पर निंदा करने में अनिच्छुक रही हैं। मैथ्यू मिलर ने कहा कि आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में कमी पर जोर न दे और कनाडा में चल रही जांच में सहयोग करे। मालूम हो कि अमेरिकी विदेश विभाग का यह बयान इस मामले में वाशिंगटन द्वारा नई दिल्ली की अब तक की सबसे सीधी आलोचना है।
उन्होंने कहा कि इस मामले से सभी देशों को चिंतित होना चाहिए। अमेरिका का यह बयान भारत के कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने के दबाव के कुछ घंटे के बाद आया है। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया ने भी कनाडा का ही समर्थन किया है। ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा खुफिया संगठन (ASIO ) के महानिदेशक माइक बर्गेस का कहना है कि उनके पास कनाडा के इस बयान पर “विवाद करने का कोई कारण नहीं” है। उन्होंने कहा कि कनाडा के पास निज्जर की हत्या से भारत को जोड़ने के आरोप विश्वसनीय हैं। बर्गेस ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “कनाडाई सरकार ने इस मामले में जो कहा है, उस पर विवाद करने का मेरे पास कोई कारण नहीं है।”
बर्गेस कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक सम्मेलन के मौके पर बोल रहे थे, जहां फाइव आईज खुफिया साझाकरण गठबंधन के शीर्ष जासूस बैठक कर रहे थे। बता दें कि फ़ाइव आइज़ दुनिया का सबसे घनिष्ठ और शक्तिशाली खुफिया जानकारी एकत्र करने और साझा करने वाला गठबंधन है जिसमें अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। यह उच्चतम स्तर के सहयोग, आपसी विश्वास और समन्वित कार्रवाई के साथ एक एंग्लोस्फीयर व्यवस्था है जिसमें इसके सदस्यों में से एक की चिंता आमतौर पर सभी पांचों की चिंता बन जाती है और वे एकजुट होकर प्रतिक्रिया देते हैं। कनाडा मामले में भी यही हो रहा है और पांचों देशों की ये प्रतिक्रिया सामने आई है जो भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
ये है मामला
कनाडा ने जून में वैंकूवर उपनगर में कनाडाई नागरिक और सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया है । भारत ने आरोपों से इनकार किया है। इसी मुद्दे पर भारत और कनाडा में पिछले महीने से गहरा कूटनीतिक विवाद चल रहा है। यह विवाद पीएम जस्टिन ट्रूडो की तरफ से वहां की संसद में दिए गए एक सनसनीखेज बयान से पैदा हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि कनाडाई नागरिक (खालिस्तान समर्थक आतंकवादी) हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारतीय एजेंटों ने की है ।