इंदौर। महाराष्ट्र में स्थित देवियों के साढ़े तीन शक्तिपीठ में से एक तुलजापुर स्थित मां तुलजा भवानी के दर्शन का अवसर इंदौर के श्रमिक क्षेत्र स्थित रामनगर में भी भक्तों का मिलता है। यह शक्ति के उपासकों के बीच ख्यात बड़े उपासना स्थल में से एक है। तुलजा भवानी मंदिर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है। नवरात्र में दक्षिण भारतीय पद्धति से होने वाले महाभिषेक में शामिल होने सुबह चार बजे से भक्तों का हुजूम उमड़ता है। उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर की तरह रामनगर के इस मंदिर में तेल-घी से ऊंचे दीप स्तंभ प्रज्ज्वलित होते हैं।
ऐसा है मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण 38 वर्ष पहले 1986 में किया गया था। समाजसेवी स्व. नवनाथ कोल्हे और ज्ञानदेव खाडे की पहल से इस स्थान को साकार रूप दिया गया। मां तुलजा की मूर्ति जबलपुर में बनवाई गई। इसके बाद मूर्ति को महाराष्ट्र के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर ले जाया गया। इसमें माहुर में रणुकादेवी, तुलजापुर में तुलजा भवानी, नासिक में सप्तशृंगी, शनि शिंगणापुर आदि स्थान शामिल हैं। इसके बाद मूर्ति को इंदौर लाकर विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की गई है।
तीज-त्योहारों पर होती है विशेष आराधना
इंदौर के इस उपासना स्थल की छठा तीज-त्योहारों पर देखते ही बनती है। इस अवसर पर विशेष-शृंगार और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। यहां बने दीप स्तंभ को शारदीय नवरात्र में अष्टमी-नवमी के साथ विशेष अवसर पर प्रज्जवलित किया जाता है। नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा पर भंडारे का आयोजन होता है। इसमें कालोनी के लोग मेजबान बनकर शहरभर से जुटने वाले हजारों श्रद्धलु की मेहमाननवाजी करते हैं। माता के प्रति भक्तों की इतनी आस्था है कि मंदिर के कलश के लिए स्वर्ण संग्रह के बात चली तो महिलाओं ने अपने आस्था के अनुरूप 5, 11, 21 की संख्या में मंगलसूत्र से स्वर्ण मोती तक निकालकर दे दिए।
इंदौर से बड़ी संख्या में तुलजापुर जाते हैं भक्त
मां तुलजा भवानी का मुख्य मंदिर तुलजापुर में है। उनके दर्शन-पूजन से शहर से भी बड़ी संख्या में भक्त वर्षभर जाते हैं। मराठीभाषी उनके अनुयायी बड़ी संख्या में हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज भी प्रत्येक युद्ध में जाने से पहले उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजन अनुष्ठान करते थे। – भरत खाडे, व्यवस्थापक
माता की मनोहारी मूर्ति
तुलजा भवानी माता का पूजन यहां होता है। माता की मनोहारी मूर्ति यहां विराजित है। उनका सौम्य स्वरूप यहां आने वाले भक्तों के मन में बसा है। उनकी स्नेह और आशीर्वाद के लिए अलसुबह चार बजे से लोग नवरात्र में होने वाले अभिषेक में शामिल होते हैं। – सोनाली भराटे, भक्त