इंदौर। शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर आदिशक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखा जाता है। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही नवरात्र पर्व का समापन होता है। कन्या पूजन और हवन भी किया जाता है। अगले दिन दशहरा मनाया जाता है। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसके अलावा कई अन्य शुभ संयोग भी बन रहे हैं। इन योगों में मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है।
महानवमी शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट तक है। उसके बाद आश्विन मास की दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। शुभ मुहूर्त की अवधि में पूजा और हवन किया जा सकता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
नवरात्र की महानवमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06:26 से शाम 05:14 तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग में मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है। इस योग में शुभ कार्य किए जाते हैं।
रवि योग
नवरात्र की महानवमी तिथि पर रवि योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण पूरे दिन रहेगा। रवि योग को ज्योतिष शास्त्र में काफी शुभ मानते हैं। रवि योग में देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
करण
शारदीय नवरात्र के की महानवमी पर बालव, कौलव और तैतिल करण का निर्माण हो रहा है। बालव, कौलव और तैतिल को शुभ माने जाते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपको माता का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 36 मिनट तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 44 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।
डिसक्लेमर
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