नींबू भले ही स्मार्ट सिटी कंपनी कार्यालय परिसर में कटा लेकिन इसके छीटें चार किमी दूर नगर निगम कार्यालय में बैठे अधिकारियों तक उड़ गए। यह बात अलग है कि आला अधिकारी इन छीटों को नजर अंदाज कर रहे हैं। जो भी हो नींबू कांड ने यह तो साबित कर ही दिया कि इंदौर नगर निगम में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अंदर ही अंदर कुछ तो है जिसे बाहर लाने के लिए नींबू काटा गया। ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए नींबू काटने वाले को तो कंट्रोल रूम अटैच कर दिया गया, लेकिन उसके द्वारा लिखे गए पत्र पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सवाल तो यह भी है कि आखिर निगम में ऐसा क्या चल रहा है कि नींबू काटना पड़ा। दो धड़ों में बटे इंदौर नगर निगम के कर्मचारी इस नींबू कांड के बाद सहमे सहमे से हैं।
भारी पड़ गई रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की कोशिश
राजनीति में जितने मुंह उतनी बात
चुनाव से पहले हो मजदूरों की बल्ले-बल्ले
चुनाव जो करवाए वह कम है। 32 साल से अपने हक के लिए भटक रहे मजदूरों को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि सरकार चुनाव से ठीक पहले उनकी बातों को इतनी गंभीरता से लेगी। वे तो समझ रहे थे कि इस बार भी उनके हिस्से में घुड़की आएगी और हर बार की तरह सिर्फ आश्वासन मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जाते-जाते सरकार ने गंभीरता दिखाई और मंत्री परिषद की बैठक में ताबड़तोड़ मजदूरों को ब्याज सहित भुगतान का प्रस्ताव पास कर दिया। अब मजदूरों को उम्मींद है कि 17 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले उन्हें उनका भुगतान मिल ही जाएगा। चुनाव में किसे क्या मिलेगा और सरकार किसकी बनेगी यह तो 3 दिसंबर को आने वाले परिणाम ही बताएंगे लेकिन इतना जरूर है कि यह चुनाव हुकमचंद मिल के हजारों मजदूरों को बहुत कुछ दे गया है।