जयपुर पूर्व राजघराने की सदस्य दिया कुमारी, इन दिनों राजस्थान की राजनीति में ख़ासी सुर्खियों में है. राजस्थान भाजपा में नेतृत्व की नई उड़ान की इबारत लिखी जा रही है. जिसमें दिया कुमारी फ्रंटरनर हो सकती हैं. वे जयपुर के राजमहल से निकली और पहले सवाई माधोपुर विधानसभा और फिर राजसमंद में लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद पहली बार जयपुर में चुनावी मैदान में उतारी गई हैं. जयपुर में उन्हें विद्याधर नगर से टिकट देने के लिए कद्दावर नेता नरपत सिंह राजवी की टिकट चित्तौड़ शिफ्ट की गई
Q. दिया कुमारी जी, जब आपका हम यह इंटरव्यू कर रहे हैं. जयपुर का मौसम तो खुशनुमा है, लेकिन विद्याधर नगर की सियासी फिज़ा क्या कह रही है ?
A. देखिए, मैं पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने विद्याधर नगर आई हूं. सियासी मौसम ऐसा था कि लोग परेशान थे. यहां हमारी पार्टी के विधायक थे, लेकिन सरकार कांग्रेस की थी, काम नहीं हो पाए. अभी आपसे पहले यहां के इंड्रस्टियलिस्ट्स के साथ बैठक थी. कांग्रेस की सरकार में सारे परेशान दिख रहे हैं. पीएम मोदी ने छोटी इंडस्ट्रीज़ के लिए बहुत कुछ दिया है. वो राजस्थान सरकार ने नहीं अपनाई, राजस्थान में इन लोगों तक राहत नहीं पहुंची. लोगों में बहुत गुस्सा हैं.
Q. आप जहां से प्रत्याशी हैं वहां नरपत सिंह राजवीं जो कि भैरोंसिंह शेखावत के दामाद हैं, उनका क्षेत्र रहा. अब भी उनके अंदर एक दर्द है यहां से टिकट कटने का, आपकी बात हुई है ?
A. नरपत सिंह राजवी साहब हमारे बड़े हैं, हमारे भाजपा परिवार से ही हैं. मेरी उनसे बात हुई है. अभी भैरोंसिंह जी की जन्म जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उन्हीं ने मुझे आमंत्रित किया था. मैं वहां गई और हमारी बात हुई. पार्टी का आदेश मेरे लिए भी था, उनके लिए भी. मेरा यहां आना हुआ, उनको पार्टी ने चित्तोड़़ से टिकट दी है. सब ठीक है. वो यहां प्रचार भी करने आएंगे.
Q. राजस्थान की राजनीति में, ख़ासकर आपकी पार्टी में आपके बढ़ते क़द की चर्चा है. आप मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी का चेहरा बन रही है.
A. ये सब मीडिया में ही है. असल में ऐसी कोई बात नहीं. इस तरह के फैसले हमारा संसदीय बोर्ड करता है. शीर्ष नेतृत्व तय करता है. मैं अभी इन सब के बारे में सोचती भी नहीं. मेरा फोकस इसी बात से है कि यह विधानसभा सीट हम अच्छे मतों से जीतें. यहां के लोगों से ज्यादा से ज्यादा संपर्क कैसे बढ़े, ये काम मुझे करना है. सवाई माधोपुर, राजसमंद दोनों अलग क्षेत्र थे. वहां का मेरे लिए अच्छा अनुभव था. पार्टी ने जयपुर की बेटी को पार्टी ने सवाई माधोपुर, राजसमंद भेजा, वहां चुनाव जीती अब जयपुर आई हूं. मैंनें हमेशा अपनी जीत के लिए कार्यकर्ताओं और मोदी जी की नीतियों को श्रेय दिया है.
Q. दावेदारी की बात मीडिया इसीलिए कह रही है क्योंकि साफ लग रहा है कि आलाकमान की आप पर पूरी ब्लेसिंग्स हैं. केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह जी लगातार आपके चुनाव में आए हैं.
A. बिना सीनियर्स लीडर्स की ब्लेसिंग्स के तो मैं यहां नहीं पहुंची, ये तो सही है. जितेन्द्र सिंह जी का आशीर्वाद मुझे मिलता रहा है. जितेन्द्र सिंह जी जयपुर के प्रभारी हैं. वो जयपुर आए तो झोटवाड़ा, सांगानेर भी गए. क्योंकि मेरी टिकट बहुत पहले घोषित हो गई तो दो बार उनका आना हुआ.
Q. भाजपा में टिकट वितरण को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. आपके संसदीय क्षेत्र राजसमंद में भी बड़ा विरोध हो रहा है.
A. ये सब इसीलिए हो रहा है कि सभी चाहते हैं कि बीजेपी से टिकट मिले. मेरी नजर में इन घटनाओं का मतलब तो यही है. ग्राउंड रिपोर्ट भी यही कह रही है. ये प्रत्येक चुनाव में होता है और सभी दलों में होता है. हमारी पार्टी इतना बड़ा परिवार है, कुछ न कुछ तो होगा न. लेकिन मुझे विश्वास है कि समय पर सब कुछ ठीक हो जाएगा. कुछ समय लगता है.
Q. राजस्थान में आपको लेकर चर्चाएं हैं. वसुंधरा जी से आपको कम्पेयर किया जा रहा है, ये तो आप भी जानती होंगी.
A. देखिए इस सवाल का जवाब देते हुए मैं थक गई हूं. आपने इसे नए रूप में पूछ लिया. वसुंधरा जी हमारी पार्टी की सीनियर नेता हैं. मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं. हमारा कोई कम्पेरिज़न नहीं है. ये चर्चा शायद इसीलिए होती हैं क्योंकि हमारा बेकग्राउंड एक जैसा है. बाकी कुछ बात नहीं. मीडिया को कुछ न कुछ चाहिए होता है.
Q. चलिए, चुनावी मुद्दों का रूख़ करते हैं.कांग्रेस सरकार गारंटियों की राजनीति लेकर आई है. इसका क्या तोड़ है आप लोगों के पास
A. देखिए, बात बिल्कुल दिख रही है कि अभी चुनावों में गांरटी देने का कोई फायदा नहीं. कांग्रेस सरकार के पास पूरे पांच साल का समय था. वो आखिरी छह महीने में ही घोषणाएं कर रहे हैं. पहले योजनाएं लाते तो जनता को इसका फायदा मिलता. ये लोग राजस्थान को कर्ज में डूबो रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि इन्होनें सिर्फ योजनाएं शुरु की हैं. भाजपा की सरकार आएगी तो इसे अच्छे से लागू करेंगे.
Q. विद्याधर नगर से आपका नया जुड़ाव है. किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहीं हैं आप ?
A. इस क्षेत्र को लेकर मेरा विज़न है. पहले तो सड़कें रिपेयर करवाएंगे. यहां पानी जैसी मूलभूत समस्याएं हैं. हुआ यह है कि कांग्रेस से विधायक होने की वजह से झोटवाड़ा तो कनेक्ट हो गया लेकिन विद्याधर नगर कनेक्ट नहीं हो पाया. यहां हमारी बीजेपी के विधायक थे, इसीलिए सरकार ने अनदेखी की. विधायक जी की विकास से संबंधित फाइलें रोकी गई. यहां अस्पताल, गर्ल्स कॉलेज, जल भराव से परेशानियों को दूर करने की समस्याएं हैं. इन्हें दूर करना है. मैं हैरान हूं कि जयपुर में जेडीए-नगर निगम जैसी संस्थाएं लेकिन यहां विकास नहीं हुआ है. महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ें, युवाओं को विकास से जोड़ना है.
जयपुर राजघराने की राजनीति में नई पीढ़ी हैं दिया कुमारी
जयपुर राजघराने का राजनीति से पुराना नाता रहा है. दिया कुमारी की दादी पूर्व राजमाता गायत्री देवी ने 1962 में स्वतंत्र पार्टी की कमान संभाली थी. उस वक्त गायत्री देवी की लोकप्रियता के चलते स्वतंत्र पार्टी के 36 विधायक चुनाव जीत गए.इसके बाद, 1967 में 49 विधायक बने गए. दिया कुमारी की दादी पूर्व राजमाता गायत्री देवी को जयपुर की जनता ने तीन बार सांसद बनाया. आपातकाल के दिनों में इंदिरा गांधी से गायत्री देवी की राजनीतिक लड़ाई के किस्से आज भी गाहे-बगाहे सुर्खियों में रहते हैं. दिया कुमारी के पिता जयपुर के पूर्व महाराज ब्रिग्रेडियर भवानी सिंह भी राजनीति में जुड़े. सेना में पाकिस्तान से युद्ध के बाद महावीर चक्र से सम्मानित पूर्व महाराज भवानी सिंह को आपातकाल के दौरान तत्कालिन इंदिरा गांधी सरकार ने उनकी सौतेली माता पूर्व राजमाता गायत्री देवी के साथ जेल भेज दिया गया. इससे आहत गायत्री देवी ने राजनीति से संन्यास ले लिया लेकिन ब्रिग्रेडियर भवानी सिंह ने 14 साल बाद 1989 में कांग्रेस की टिकट पर ही जयपुर लोकसभा का चुनाव लड़ा. जिसमें वो पराजित हुए. दिया कुमारी, जयपुर राजपरिवार में राजनीति की तीसरी पीढ़ी हैं. 2013 में दिया कुमारी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली. वे 2013 से 2018 तक सवाई माधोपुर विधायक रही हैं. दिया कुमारी, 2019 से राजसमंद सांसद है वर्तमान में विधाधर नगर से विधायक प्रत्याशी है.
जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय, महारानी मरुधर कंवर,महारानी किशोर कंवर और महारानी गायत्री देवी, दिया कुमारी के दादा-दादी हैं. उनके दादा महाराजा सवाई मानसिंह राजस्थान के पहले राजप्रमुख थे. दिया कुमारी की दादी गायत्री देवी और पिता भवानी सिंह के बाद वो राजपरिवार से राजनीति में उतरी तीसरी पीढ़ी हैं. उनकी तीन संतानों में पुत्री गौरवी सिंह,पद्नाभ सिंह,लक्ष्यराज प्रकाश सिंह हैं.
राजस्थान की राजनीति में राजघराने
राजस्थान की राजनीति में अलग-अलग वक्त में राजघरानों का बोल-बाला रहा है. आज़ादी के बाद से ही कभी स्वतंत्र पार्टी,जनसंघ तो कभी कांग्रेस के साथ राजघराने के सदस्यों ने राजनीति में अपनी भूमिका निभाई है. राजस्थान में इस वक्त जयपुर राजघराने की सदस्य दिया कुमारी राजनीति में सक्रिय है. इसी तरह धौलपुर राजपरिवार की बहु औऱ ग्वालियर राजघराने की बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया, उनके बेटे दुष्यंत सिंह राजनीति में सक्रिय हैं. जयपुर की पूर्व महारानी और कूचबिहार की पूर्व राजकुमारी गायत्री देवी, जयपुर राजघराने के पूर्व महाराजा कर्नल भवानीसिंह,जोधपुर के तत्कालीन राजा हनवंत सिंह राठौड़, ने लोकसभा चुनाव जीता. हालांकि परिणाम घोषित होने से पहले ही विमान दुर्धटना में उनकी मृत्यु हो गई. हनवंत सिंह की पत्नी कृष्णा कुमारी पूर्व मंत्री रही. वहीं उनके बेटे गज सिंह राज्यसभा सांसद रहे. जबकि बेटी और हिमाचल प्रदेश के पूर्व राजघराने की सदस्य चंद्रेश कुमारी केन्द्रीय मंत्री रही.इसी तरह अलवर राजघराने के भंवर जितेन्द्र सिंह कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव होने के साथ ही पार्टी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खास सिपाहेसालार है और मनमोहन सिंह सरकार में वे मंत्री रहे. उनकी मां महेन्द्र कुमारी राजनीति में भाजपा के सहारे उतरी थी. भरतपुर राजघराने से विश्वेंद्रसिंह अब कांग्रेस में है. उनके चाचा स्व. मानसिंह भी विधायक रहे और उनकी बेटी कृष्णेन्द्र कौर वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रही. बीकानेर के राजा करणी सिंह चुनाव मैदान में कूदे और जीत हासिल की. उनकी पोती सिद्धि कुमारी ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया. और 2008 से बीकानेर पूर्व से विधान सभा की सदस्य हैं और इस बार भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है. इसी तरह कोटा, उदयपुर, बीकानेर राजघरानों का दखल भी राजस्थान की राजनीति में रहा है। कोटा राजघराने के इज्यराज सिंह एक बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. बीकानेर राजपरिवार पहले स्वतंत्र पार्टी और फिर भाजपा के साथ रहा है. जबकि उदयपुर राजपरिवार के सदस्य महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने एक बार कांग्रेस के टिकट पर चित्तौड़गढ़ से सांसद रहे हैं। डूंगरपुर राजघराने के वंशज हर्षवर्द्धन सिंह डूंगरपुर राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं. उनके दादा लक्ष्मण सिंह भी राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य रहे थे.