मायावती के वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी! अनुसूचित जाति सम्मेलनों के जरिए दलितों को साधने में जुटी BJP
आगामी लेकर सभा चुनाव को लेकर यूपी की सियासत में सभी बड़ी पार्टियां वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव दाव चल रही हैं। वहीं, भाजपा प्रदेश के 80 सीटों को जीतने के लिए जाति और धार्मिक आधार पर मतदाताओं को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
प्रदेश में राजनीतिक नजर से देखा जाए तो भाजपा अनुसूचित जाति के वोटरों को समेटने पर ज्यादा जोर दे रही है। दरअसल, ये सभी वोटर बहुजन समाज पार्टी के नीव माने जाते थे, लेकिन पार्टी का पतन होते देख वे भी एक बड़ी पार्टी की तरफ रुख करना चाहते हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी इस मौका का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, जिसके लिए पूरे राज्य में अनुसूचित जाति महासम्मेलनों (मेगा सम्मेलन) की एक श्रृंखला शुरू की है जिसका उद्देश्य एससी/एसटी मतदाताओं को अपने बैनर तले एकजुट करना है। अनुसूचित जाति महासम्मेलन पश्चिमी क्षेत्र, ब्रज, कानपुर क्षेत्र और काशी प्रांत में पहले ही हो चुके हैं। आगामी मेगा सम्मेलन अवध और गोरखपुर प्रांतों के लिए निर्धारित है जिसमें सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की संभावना है।
गौरतलब है कि 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी (एसपी) और बीएसपी के बीच गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी अच्छी बढ़त बनाए रखने में कामयाब रही। इसका स्पष्ट उदाहरण काशी प्रांत में था, जहां कुल 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर भाजपा ने उल्लेखनीय जीत हासिल की।
“बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, हम एससी-एसटी को केवल वोट बैंक के रूप में नहीं देखती है। हमारा काम ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर आधारित है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में समाज के हर वर्ग के लोग एकजुट हो रहे हैं।”
26 सितंबर को शुरू किया गया बस्ती संपर्क अभियान भाजपा को सीधे अनुसूचित जाति समुदाय तक ले गया। इस अभियान के दौरान, पार्टी ने अपनी नीतियों को साझा किया और मतदाताओं के साथ जुड़कर समावेशिता और समझ की भावना को बढ़ावा दिया।