इंदौर। सनातन धर्म में दीपावली सबसे बड़ा त्योहार है और हर साल यह त्यौहार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का काफी महत्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल को शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2.30 बजे शुरू हो जाएगी।
दीपावली पर बन रहे 8 शुभ योग
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, दीपावली पर शाम को देवी लक्ष्मी के पूजन के समय 5 राजयोग का निर्माण भी होगा। ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे। इस दौरान आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी निर्मित होगा। इस तरह इस बार का दीपावली पर्व 8 शुभ योग के बीच आ रहा है। ऐस संयोग कई दशकों के बाद निर्मित हो रहा है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे।
दीपावली पर लक्ष्मी व गणेश पूजन का मुहूर्त
हिंदू धर्म शास्त्रों में जिक्र है कि दीपावली पर देवी लक्ष्मी और गणेश पूजन हमेशा अमावस्या तिथि और प्रदोष काल के संयोग में ही करना चाहिए। इस बार दीपावली पर लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा मुहूर्त शाम 05.40 बजे से शाम 07.36 मिनट तक रहेगा। इस दौरान प्रदोष काल 05:29 बजे से 08:07 तक तक रहेगा। वहीं वृषभ काल का समय 05:40 से 07:36 तक रहेगा।
पूजा में जरूर शामिल करें ये सामग्री
- मां लक्ष्मी की प्रतिमा (कमल के पुष्प पर बैठी हुईं), गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा (गणपति जी की सूंड बाईं ओर होनी चाहिए)
- कमल का फूल, गुलाब का फूल, पान के पत्ते
- रोली, सिंदूर, केसर, अक्षत (साबुत चावल)
- पूजा की सुपारी, फल, फूल मिष्ठान
- दूध, दही, शहद, इत्र, गंगाजल, कलावा
- धान का लावा(खील) बताशे, पीतल का दीपक
- शुद्ध घी और रुई की बत्तियां, तांबे या पीतल का कलश
- पानी वाला नारियल, चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के
- साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए
- चौकी और पूजा के लिए थाली।
डिसक्लेमर
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