अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगा करके अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने मंगलवार को बातचीत में कहा कि श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला को छप्पन प्रकार के व्यंजनों से भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस बार अस्थायी मंदिर में रामलला का अन्नकूट मनाया गया है, लेकिन अगले वर्ष रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे तब उसके बाद वहीं पर अन्नकूट धूमधाम से मनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि छप्पन प्रकार के व्यंजनों के भोग सहित फल, चरणामृत, तमाम तरह के भोग लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि महोत्सव में पूरी अयोध्या नगरी आह्लादित नजर आयी। दोपहर आरती पूजन के पश्चात रामलला को भोग लगा है। इस अवसर पर नामचीन कलाकारों ने जेवनार गाकर उत्सव में चार चांद लगा दिया।
इसी प्रकार दशरथ महल में विंदुगाद्याचार्य महंत देवेन्द्र प्रसादाचार्य, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास, जानकीघाट बड़ा स्थान में जन्मेजय शरण, रंगमहल में रामशरण दास, बड़ा भक्तमाल में अवधेश महाराज की सानिध्यता में अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। वहीं रामानंद नगर स्थित सिद्धपीठ श्री अवध बिहारी कुंज में महंत गणेश दास महाराज के संयोजन में अन्नकूट पर्व मनाया गया। दोपहर आरती-पूजन पश्चात मंदिर में विराजमान ठाकुर जी की छप्पन पकवानों का भोग लगा। दोपहर विभिन्न मंदिरों में आरती-पूजन पश्चात विराजमान ठाकुर जी को छप्पन पकवानों का भोग लगा उसके बाद भक्तगणों ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण किया। अन्नकूट महोत्सव श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास वेदांती महाराज के सानिध्य में हर्षोल्लास पूर्वक मना। तदुपरांत उनका पूजन-अर्चन कर आरती उतारी। उसके बाद हजारों की संख्या में संत-महंत व मंदिर से जुड़े शिष्य-अनुयायियों ने अन्नकूट महोत्सव का प्रसाद ग्रहण कर अपना जीवन धन्य बनाया। कनक भवन परिसर स्थित श्रीलालसाहेब दरबार अन्नकूट महोत्सव के उल्लास में रंगा नजर आया।
पीठ के महंत रामनरेश शरण महाराज ने मंदिर में विराजमान श्रीलालसाहेब सरकार का पूजन-अर्चन कर आरती उतारी। भगवान को 56 पकवानों का भोग लगाया। भक्तगणों ने बड़े चाव के साथ भगवान के अन्नकूट पर्व का प्रसाद ग्रहण कर जीवन कृतार्थ किया। नयाघाट स्थित विश्वविराट विजय राघव मंदिर में सिद्धबाबा नरसिंह दास महाराज के कृपापात्र उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर महंत महावीर दास के संयोजन में विश्वविराट भगवान का पूजन-अर्चन हुआ। उसके बाद भोग लगाकर उनकी आरती उतारी गई। तदुपरांत भक्तगणों ने अन्नकूट का प्रसाद पाया। इसी तरह कोसलेश सदन, अशफर्ी भवन, सियारामकिला, करूणानिधान भवन, रामवल्लभाकुंज, हनुमानबाग, बड़ी छावनी, तपस्वी छावनी, रामकथाकुंज, मंगल भवन, रामकृष्ण मंदिर, लवकुश मंदिर, रामकचेहरी, बड़े हनुमान आदि मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव भव्यता से मनाया गया।
उन्होंने कहा भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आने पर उनकी महिमा, महत्ता के अनुरूप भोज भंडारा का आयोजन स्वाभाविक था। उन्होंने बताया कि लंका विजय के उपरान्त अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में दीप जलाकर दीपावली मनायी थी और उसके अगले दिन छप्पन व्यजंन का पकवान बनाकर उनके सम्मुख परोसा गया था। तब से दीपावली व उसके दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि यह परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। अयोध्या में सभी मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव की धूम रही है।