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माता सीता ने पहली बार की थी छठ पूजा, जानें क्या है इसके पीछे पौराणिक कथा

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इंदौर। दीपावली के बाद अब सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होने वाला है। 4 दिनों तक चलने वाली यह महापर्व 20 नवंबर तक मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश और बिहार के यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को यदि विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है।

छठ पूजा को लेकर ये है पौराणिक मान्यता

छठ पर्व बिहार की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो वैदिक काल से ही मनाया जा रहा है। छठ पर्व में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है। ऋग्वेद में भी सूर्य पूजन, उषा पूजन के बारे में विस्तार से जिक्र मिलता है।

माता सीता ने की थी छठ पर्व की शुरुआत

वाल्मीकि रामायण में भी छठ पूजा के संकेत मिलते हैं। इसके मुताबिक, पौराणिक नगर अंग प्रदेश की राजधानी मुंगेर में माता सीता ने 6 दिनों तक छठ पूजा की थी। रावण वध के बाद जब भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास भोग कर अयोध्या वापस आए थे तो रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने राजसूय यज्ञ किया था। इस यज्ञ के लिए भगवान राम ने मुद्गल ऋषि को भी न्योता दिया था, लेकिन मुद्गल ऋषि ने अयोध्या जाने के बजाय भगवान राम और सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि आज्ञा पर भगवान राम और सीता खुद जब वहां पहुंचे तो ऋषि मुद्गल ने उन्हें पहली बार छठ पूजा का महत्व बताया था। ऋषि मुद्गल की ओर से बताई गई विधि के आधार पर माता सीता ने पहली बार सूर्य देव की उपासना करके 6 दिनों तक छठ पूजा की थी।

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‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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