रतलाम। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जिले की पांचों सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान के बाद प्रशासनिक अमला जहां राहत की सांस ले रहा है, वहीं पार्टी-प्रत्याशी और समर्थक हार-जीत को लेकर मतदान के आंकड़ों में जोड़-घटाव और गुणा-भाग कर रहे हैं। जिले में करीब 84 फीसद मतदान ने राजनीति के जानकारों के समीकरण गड़बड़ा दिए हैं।
दोनों प्रमुख दल कांग्रेस-भाजपा के साथ इस बार निर्दलीय भी पूरी ताकत के साथ अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। चुनावी रण में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों की हार-जीत को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहीं भाजपा, कहीं कांग्रेस तो कहीं निर्दलीय का पलड़ा भारी बताया जा रहा है।
इन सबके बीच सभी को अब तीन दिसंबर के दिन परिणाम आने का बेसब्री से इंतजार है। वैसे तो अब तक हुए चुनाव में जिले की पांचों सीटों पर कांग्रेस-भाजपा में कड़ा मुकाबला होता आया है, लेकिन इस बार एकमात्र रतलाम शहर सीट को छोड़कर रतलाम ग्रामीण, सैलाना, जावरा और आलोट विधानसभा सीटों पर कांग्रेस-भाजपा के साथ निर्दलियों ने ताकत दिखाकर सभी को गफलत में डाल रखा है।
इससे प्रत्याशियों की हार-जीत को लेकर कहीं भी स्पष्ट रुझान सामने नहीं आ पा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो तीन दिसंबर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
219 रतलाम ग्रामीण अजजा
इस सीट पर 86 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ। भाजपा से मथुरालाल डामर, कांग्रेस से लक्ष्मणसिंह डिंडोर, जयस के डा. अभय ओहरी, बसपा से संजय भाभर, निर्दलीय नानालाल खराड़ी के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में कैद किया। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है, लेकिन इस बार के चुनाव में अभी तक स्पष्ट रुझान सामने नहीं आए हैं। विधानसभा क्षेत्र में हर जगह-जगह अलग-अलग माहौल है।
220 रतलाम शहर
इस सीट पर जिले में सबसे कम 73 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ। भाजपा से चेतन्य काश्यप, कांग्रेस से पारस सकलेचा दादा, बसपा से जहीरउद्दीन, सपा से आफरीन बी, यूनेपा से मोहम्मद जफर, भारतीय स्वर्णिम युग पार्टी से विजयसिंह यादव, निर्दलीय अरुण राव, मोहनसिंह सोलंकी के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में कैद किया। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है, लेकिन इस पर जिले की अन्य सीटों के मुकाबले कम मतदान ने जानकारों को उलझन में डाल रखा है। हालांकि यहां सीधा मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में बताया जा रहा है, लेकिन पूरी तरह से स्पष्ट राय सामने नहीं आ पा रही है।
221 सैलाना अजजा
इस सीट पर जिले में सर्वाधिक 90 फीसद से अधिक मतदान हुआ। कांग्रेस से हर्ष विजय गेहलोत, भाजपा से संगीता चारेल, जयस से कमलेश्वर डोडियार, जदयू से धर्मेंद्र मईड़ा, भाट्रापा से नवीन डामोर, बसपा से शंकरलाल, निर्दलीय सूरज भाभर, पवन, वागेश्वर मईड़ा, भूरी सिंघाड़ के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में कैद किया। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है, लेकिन इस बार बंपर मतदान और अन्य प्रत्याशियों की प्रभावी उपस्थिति ने जानकारों का गणित गड़बड़ा दिया है। विधानसभा क्षेत्र में कहीं से भी स्पष्ट राय सामने नहीं आई है। अटकलों के बाजार में यहां ऊंट कब किस करवट बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
222 जावरा
इस सीट पर 85 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ। भाजपा से डा. राजेंद्र पांडेय, कांग्रेस से वीरेंद्रसिंह सोलंकी, करणी सेना परिवार के जीवनसिंह शेरपुर, बसपा से दशरथलाल आंजना, आसपा से दिलावर खान, भारतीय स्वर्णिम युग पार्टी से विजयसिंह यादव, निर्दलीय मोहन परिहार, रामेश्वर डाबी के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में कैद किया। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है, लेकिन इस बार निर्दलीय की ताकत ने सभी को असमंजस में डाल रखा है। कहीं से भी स्पष्ट रुझान सामने नहीं आए हैं। विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्रों में हार-जीत के भिन्न-भिन्न पैमाने बताए जा रहे हैं।
223 आलोट अजा
इस सीट पर 83 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ। कांग्रेस से मनोज चावला, भाजपा से चिंतामणि मालवीय, निर्दलीय प्रेमचंद गुड्डू, आसपा से गोवर्धन परमार, निर्दलीय पुष्पेंद्र सूर्यवंशी, नागूलाल, लक्ष्मण चंद्रवंशी, प्रहलाद वर्मा, किशोर मालवीय के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में कैद किया। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है, लेकिन इस बार निर्दलीय के दम-खम ने जानकारों को सकते में डाल रखा है। कोई भी स्पष्ट राय बता पाने की स्थिति में नहीं है।