आंबुआ। निजी यात्री बस संचालक परमिट शर्तों का किस तरह खुलेआम उल्लंघन करते हैं, यह यहां देखा जा सकता है। कस्बे से विभिन्न रूटों पर चल रही बसों से यात्रियों को दो किमी दूर तक उतारा जा रहा है। ऐसे में कस्बे तक आने के लिए यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। कई शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कस्बे से दाहोद, अलीराजपुर, बड़वानी, इंदौर रूट पर चलने वाली निजी यात्री बसों की मनमानी ने यहां यात्रियों को परेशान कर दिया है। दाहोद से आने वाले यात्रियों को कस्बे से दो किलोमीटर दूर गांधी आश्रम पर ही उतारा जा रहा है। विरोध करने पर बस का स्टाफ यात्रियों से अभद्रता की जाती है।
डीजल बचाने के फेर में परमिट नियमों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। नियमानुसार यात्रियों को परमिट में तय स्थान पर ही उतारा जाना चाहिए। इस संबंध में नागरिक परिवहन विभाग और पुलिस को कई शिकायतें कर चुके हैं। हालांकि जिम्मेदार महकमे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सुनवाई न होने से लोगों में नाराजगी है।
दाहोद जाने वालों में अधिकांश मरीज व उनके स्वजन
बता दें कि क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उपचार सहित अन्य कामों के लिए गुजरात के दाहोद जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या मरीज व उनके स्वजन की होती है। दाहोद जाते वक्त सवारियों को लेने के लिए तो बसों को कस्बे के भीतर लाया जाता है, हालांकि वापसी में कई बसें लोगों को गांधी आश्रम पर ही उतार रही हैं। यह स्थल कस्बे से करीब दो किमी दूर है। ऐसे में लोगों को या तो अन्य साधन से या फिर पैदल ही कस्बे तक आना पड़ रहा है। अगर कोई यात्री इसका विरोध करता है तो बस का स्टाफ अभद्रता पर उतारू हो जाता है।
लोगों का कहना है कि शिकायत होने पर कुछ दिन के लिए व्यवस्था बना दी जाती है, इसके बाद फिर से वही ढर्रा शुरू हो जाता है। बस संचालक सरेआम परमिट नियमों का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे में परिवहन विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अगर कोई बस संचालक परमिट नियम का उल्लंघन कर रहा है तो उसका परमिट निरस्त किया जाना चाहिए।
इनका यह कहना
बस संचालकों की मनमानी के खिलाफ आंबुआ पुलिस को आवेदन दिया है। अगर कोई कार्रवाई नहीं होती तो आगे शिकायत की जाएगी। -रमेश रावत, सरपंच, ग्राम पंचायत आंबुआ
दाहोद जाने वाली बसों में अधिकांश मरीज व उनके स्वजन होते हैं। दाहोद से आने वाले यात्रियों को गांधी आश्रम पर उतार दिया जाता है। इससे यात्रियों को खासी परेशानी आती है। -भरत कुमार माहेश्वरी, पंच
बसें यात्रियों को लेने के लिए तो कस्बे में आती हैं, मगर वापसी में दो किमी दूर उतार दी जाती हैं। अगर कोई यात्री विरोध करता है तो बस का स्टाफ उनसे अभद्रता करने लगता है। -अमान पठान
निजी यात्री बस संचालकों को मनमानी पर प्रशासन को लगाम लगाना चाहिए। परमिट शर्तों का पालन सुनिश्चित कराया जाना चाहिए। इससे यात्रियों को परेशानी से निजात मिलेगी। -हुसैनी भाई बोहरा