देशभर के मुस्लिम अनाथालय अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के रडार पर हैं। एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर उनके क्षेत्र में चल रहे तमाम मुस्लिम अनाथालयों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने राज्यों को कहा है कि वे 15 दिन के भीतर सभी मुस्लिम अनाथालयों की संख्या और उनमें बच्चों की स्थिति पर रिपोर्ट दे।
यह भी बताया जाए कि उनमें से कितने पंजीकृत हैं और कितने गैर पंजीकृत हैं? कितनों में बच्चों को शिक्षा मुहैया कराई जा रही है या नहीं? एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि उनकी एक टीम ने कर्नाटक के एक मुस्लिम अनाथालय दारूल उलूम सईदिया यतीमखाना का औचक निरीक्षण किया था।
जांच के दौरान पाया गया कि यह अनाथालय जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत पंजीकृत ही नहीं है। इस अनाथालय में 200 अनाथ बच्चे रह रहे हैं। उन्हें स्कूली शिक्षा भी प्रदान नहीं की जा रही है। आयोग ने राज्यों को कहा है कि गैर पंजीकृत मुस्लिम अनाथालयों को पंजीकृत कराया जाए और बच्चों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों। अगर कोई मुस्लिम अनाथालय खुद को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं कराता । है तो उसके खिलाफ एफआईआर कराई जाए।