राजस्थान चुनाव में कांग्रेस का जहाज डूबता हुआ नजर आया। शुरूआती रुझानों में बीजेपी पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती हुई नजर आ रही है। बीजेपी लगभग 109 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस की बात करें तो 74 सीटों और अन्य 18 सीटों पर आगे चल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की विदाई लगभग तय मानी जा रही है जोकि अशोक गहलोत के लिए बहुत बड़ा झटका है। आइए जानते हैं वो पांच बड़े मुद्दे जो अशोक गहलोत को ले डूबे…
गुटबाजी
कांग्रेस चुनाव के कुछ महीने पहले सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबी गुटबाजी चली। दोनों नेताओं के बीच चली इस खींचतान से पार्टी हाईकमान भी नाराज था। वहीं, कार्यकर्ताओं पर इसका असर पड़ा और जनता के बीच गलत संदेश गया। हालांकि चुनाव के समय दोनों नेता जनता को यह संदेश देते नजर आए कि हम दोनों एक हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
कन्हैयालाल हत्याकांड
राजस्थान चुनाव में बीजेपी ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा खूब उठाया। उदयपुर, मारवाड़ रीजन में आता है। राजस्थान की राजनीति में बोला जाता है कि जो मेवाड़ जीता, वह राजस्थान जीता। बीजेपी को चुनावों में मिल रही जीत के पीछे कन्हैयालाल हत्याकांड के साथ ही कानून-व्यवस्था के मुद्दे का भी अहम रोल माना जा रहा है।
पेपर लीक
अशोक गहलोत की सरकार ने चुनावी साल में कई चुनावी दांव चले लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भारी पड़े। गहलोत ने चिरंजीवी योजना के तहत हेल्थ इंश्योरेंस की लिमिट बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने का वादा किया। लेकिन 500 रुपए में गैस सिलेंडर समेत कई वादों पर पेपर लीक, लाल डायरी और भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस को ले डूबे। बीजेपी ने अपनी कई रैलियों में पेपर लीक मामले को उठाया और कांग्रेस सरकार को जमकर घेरा था।
बागियों ने बिगाड़ा खेल
कांग्रेस को मिल रही इस हार के पीछे बागियों को काफी अहम माना जा रहा है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद नाराज नेताओं ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी ताल ठोक दी। कुछ बीजेपी और दूसरे दलों के टिकट पर भी मैदान में उतर गए। इसके अलावा बीजेपी ने अपने एक-एक बागी नेता को मनाने के लिए बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी और उन्होंने मनाने की पूरी कोशिश की। कई बागी मान गए और इसका बीजेपी को लाभ मिलता नजर आ रहा है।
मोदी बनाम गहलोत
राजस्थान चुनाव पीएम मोदी बनाम गहलोत हो जाना कांग्रेस का भारी पड़ा। पीएम मोदी ने राजस्थान में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां की। पीएम मोदी के चेहरे ने कांग्रेस के जातिगत जनगणना के दांव की धार भी कुंद कर दी। राहुल गांधी ने भी चुनावी मैदान में उतरे लेकिन वह महज खानापूर्ति ही लगा। इसलिए चुनाव पूरी तरह से मोदी बनाम गहलोत हो गया और इसका लाभ भी बीजेपी को मिला।