उज्जैन। पंचांगीय गणना के अनुसार इस बार 14 जनवरी की मध्य रात्रि 3 बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। इस दृष्टि से मकर संक्रांति का पर्व काल 15 जनवरी को मनाया जाएगा। धर्मशास्त्र में मकर संक्रांति की स्थिति की गणना करें तो इस बार की मकर संक्रांति राष्ट्र की सुख समृद्धि के लिए शुभ है।
विश्व में भारतीय विचारधारा का प्रभाव बढ़ेगा। युवाओं में आध्यात्मिक दृष्टिकोण नजर आएगा। सनातन धर्म के प्रभाव को पुष्ट करने में भी यह विशेष लाभकारी रहेगी। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में 27 योगों का उल्लेख दिया गया है, इनमें से वारियान योग विशेष महत्वपूर्ण है।
इस योग में मकर संक्रांति का पुण्यकाल इसलिए भी विशेष माना जाता है क्योंकि संक्रांति का पर्व दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर होता है। अर्थात धनु राशि को छोड़कर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश है। इस बार वारियान योग की साक्षी में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। इसका विशेष लाभ राष्ट्र को प्राप्त होगा। आर्थिक प्रगति के द्वार खुलेंगे। क्योंकि वरियान योग का अधिपति कुबेर है, इस दृष्टिकोण से धान्य संपदा, पशु संपदा और परिश्रम का विशिष्ट लाभ दिखाई देगा।
संक्रांति के समय वार का नाम घोरा रहेगा
इसका यह अर्थ है की संक्रांति के 30 दिन पर्यंत विशेष परिश्रम के माध्यम से शासन में परिवर्तन दिखाई देंगे। कई प्रकार की योजनाएं धरातल पर आने की संभावना है, जो अलग-अलग प्रकार के क्षेत्र में दिखाई देगी। जिसका लाभ जनता को प्राप्त होगा।
बैठी हुई अवस्था में आएगी संक्रांति
संक्रांति की अलग-अलग प्रकार की अवस्थाएं होती हैं। संक्रांति यदि खड़ी होती तो उसका फल अलग होता है। बैठी हुई होती है तो उसका फल अलग होता है। इस बार संक्रांति की जो अवस्था है वह बैठी हुई अवस्था है। इसका फल राष्ट्र में संतुलन तथा प्रशासन व राजनेताओं में सामंजस्य की स्थिति पैदा करेगा।
वाहन अश्व व उपवाहन सिंह
इस बार संक्रांति का वाहन अश्व उपवाहन सिंह रहेगा। वाहन अश्व होने से गति बढ़ेगी तथा उपवाहन सिंह होने से विशेष प्रभाव दिखेगा। इन दोनों वाहन स्थिति की गणना करें, तो संपूर्ण विश्व में भारतीय राष्ट्रीय विचारधारा का प्रभाव दिखाई देगा। नई जनरेशन के मध्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण दिखाई देंगे। यह एक अच्छी स्थिति है, जिसका लाभ आने वाले समय में दिखाई देगा।
दक्षिण दिशा की ओर गमन
यह स्थिति एक विशिष्ट स्थिति के योग दर्शाती है कि भारत का अल्प विकसित राष्ट्रों के मध्य दबदबा बढ़ेगा। वहीं विकसित राष्ट्रों से समान स्थिति पर वार्तालाप के साथ में सफलता की प्राप्ति का भी योग बनेगा।