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महात्मा गांधी अभयारण्य की स्थापना में फंसा पेंच वन विभाग ने निकाला

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बुरहापुर। जिले में ईको टूरिज्म को विस्तार देकर रोजगार के अवसर बढ़ाने और वन्यजीवों को अपना कुनबा बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने दो साल पहले 2021 में महात्मा गांधी अभयारण्य की सौगात दी थी। इसके लिए वन विभाग ने खकनार और बोदरली रेंज का करीब 40 हजार एकड़ का वन क्षेत्र भी आरक्षित कर दिया था, लेकिन इसके पक्ष में माननीयों का अभिमत नहीं मिल पाने के कारण दो साल से सेंचुरी की फाइल सरकार के पास अटकी हुई थी। वन विभाग ने अभयारण्य के निर्माण में फंसे अभिमत के पेंच को निकाल लिया है।

करीब पांच माह पहले सांसद, दोनों विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्ष, कलेक्टर आदि का सेंचुरी के पक्ष में दिया गया अभिमत सरकार के पास पहुंचा दिया गया है। इससे अभयारण्य के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। जिले के सांसद और विधायक नई सरकार के मुखिया तक इस मामले को पहुंचा कर जल्द इसका काम शुरू करा सकते हैं।

परिधि में आने वाले 54 गांवों को मिलेगा रोजगार

महात्मा गांधी अभयारण्य के प्रस्तावित क्षेत्र की परिधि में खकनार क्षेत्र के 54 गांव आएंगे। इनमें से कोई भी गांव विस्थापित नहीं किया जाएगा। अभयारण्य शुरू होने और पर्यटकों के आने से इन गांवों के लोगों को कई तरह से रोजगार का अवसर मिलेगा। मुख्य रूप से नांदखेड़ा, चाकबारा, सीतापुर, हसीनाबाद, गूलरपानी, ताजनापुर, डोईफोड़िया, नागझिरी, मोहनगढ़, कानापुर, निमंदड़, कखनार कला, कारखेड़ा, धाबा, बसाली, तुकईथड़ आदि गांवों के युवाओं को फायदा होगा।

बाघ सहित 21 प्रकार के वन्यजीव मौजूद

खकनार और बोदरली वन परिक्षेत्र के जिस जंगल को अभयारण्य के लिए चुना गया है, वहां बाघ व तेंदुआ सहित 21 तरह के वन्यजीव मौजूद हैं। इसके अलावा पास में मौजूद मेलघाट टाइगर रिजर्व के वन्यजीव भी विचरण करते हुए इस क्षेत्र में अक्सर आ जाते हैं। इसलिए यहां आने वाले पर्यटकों को निराश नहीं होना पड़ेगा।

अभी दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं

हमने चार-पांच माह पहले माननीयों व अन्य अपेक्षित अधिकारियों के अभिमत शासन तक पहुंचा दिए हैं। शासन से अब तक नए दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। आदेश आते ही सेंचुरी निर्माण का काम शुरू करा दिया जाएगा। – अजय सागर, उप वन मंडलाधिकारी।

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