भोपाल। 1977 में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभालने साउथ ब्लाक के अपने कार्यालय गए तो उन्होंने नोट किया कि दीवार पर लगा पंडित जवाहर लाल नेहरू का चित्र ग़ायब है। उन्होंने तुरंत अपने सचिव से पूछा कि नेहरू का चित्र कहां है जो यहां लगा रहता था। उनके अधिकारियों ने ये सोचकर उस चित्र को वहां से हटवा दिया था कि इसे देखकर शायद वाजपेयी ख़ुश नहीं होंगे। वाजपेयी ने आदेश दिया कि उस चित्र को वापस लाकर उसी स्थान पर लगाया जाए, जहां वह पहले लगा हुआ था। आज की भाजपा ने पंडित नेहरू का चित्र मध्य प्रदेश की विधानसभा से निकाल कर अपने ही पुरोधा वाजपेयी की विरासत को ललकारा है।
पटवारी ने कहा कि आज भाजपा भारत की गौरवशाली और वैभवशाली विरासत से प्रतिशोध ले रही हैं। लाल कृष्ण आडवाणी ने 2013 में ठीक ही लिखा था कि अब भाजपा नाना जी देशमुख, दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत वाली पार्टी नहीं रह गई है। इसमें कुछ लोग अपना निजी हित साधने के लिए घुस आए हैं।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा में राष्ट्र निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटाने के बजाय साथ में अगर संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर की तस्वीर लगा दी जाती तो सदन की शोभा बढ़ जाती। आज की भाजपा ने समूचे देश के प्रजातंत्र की तस्वीर को ही धूमिल कर दिया है। हर रोज़ लोकतंत्र पर प्रहार कर रहे हैं, तो फिर उनका प्रजातंत्र के पुरोधा पंडित नेहरू की तस्वीर से प्रतिशोध लेना कोई अचरज की बात नहीं है। कल ये लोग सदन से बाबा साहेब की तस्वीर हटा कर हिटलर और मुसोलिनी की तस्वीर सदन में टांग दें तो उसमें भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान भाजपा को सद्बुद्धि प्रदान करें।