Breaking
जमीन के लिए खून का प्यासा बना भतीजा, चाचा को मारी गोली, हालत गंभीर सस्ते नहीं, महंगे घरों की बढ़ रही है डिमांड, इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा स्कूल और घरों में भी सेफ नहीं बच्चे, केरल में थम नहीं रहा मासूमों का यौन शोषण बिहार में बेहाल मास्टर जी! कम पड़ रहा वेतन, स्कूल के बाद कर रहे डिलीवरी बॉय का काम बिहार: अररिया-हाजीपुर और किशनगंज में सांस लेना मुश्किल, 11 जिले रेड जोन में; भागलपुर और बेगूसराय में... मेरठ में महिला से छेड़छाड़ पर बवाल, 2 पक्षों के लोग आमने-सामने; भारी पुलिस बल तैनात अर्पिता मुखर्जी को मिली जमानत, बंगाल में शिक्षक भर्ती स्कैम में ED ने जब्त किया था करोड़ों कैश महाराष्ट्र का अगला CM कौन? दो दिनों के बाद भी सस्पेंस बरकरार फिर विवादों में IPS रश्मि शुक्ला, देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, EC से की एक्श... महाराष्ट्र में हार के बाद INDIA ब्लॉक में रार, ममता को गठबंधन का नेता बनाने की मांग

मथुरा से रणथंबौर, कोटा होते हुए उज्जैन आए थे भगवान श्रीकृष्ण

Whats App

उज्जैन। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलदाऊ के साथ गुरुश्रेष्ठ सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने उज्जैन आए थे। भगवान मथुरा से रणथंबौर, दंडगढ़, कोटा होते हुए उज्जैन पहुंचे थे। शहर के विद्वानों ने पुरातात्विक व साहित्यिक प्रमाणों के आधार पर भगवान के उज्जैन पहुंचने वाले मार्ग की खोज कर ली है।

अब मध्य प्रदेश शासन इस मार्ग को ‘श्रीकृष्ण गमन पथ’ के रूप में विकसित करने जा रहा है। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने भोपाल में इसकी घोषणा की है। बता दें इतिहास में जुड़ने वाले इस नए अध्याय पर नईदुनिया ने चार जुलाई 2022 को ही प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर दी थी।

पुराविद् डा. रमण सोलंकी ने बताया कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव 18 साल पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर चुके हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण गमन पथ की खोज के लिए पुराविद व साहित्यकार स्व. डा. श्यामसुंदर निगम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।

इसमें पुराविद डा.भगवतिलाल राजपुरोहित, पुराविद डा. रमण सोलंकी, साहित्यकार डा. केदारनारायण जोशी के साथ पुरातत्व व साहित्य से जुड़े अनेक विद्वान व शोधार्थी शामिल थे। समिति ने लगातार पुरातत्व व साहित्य प्रमाणों के आधार पर श्रीकृष्ण गमन पथ की खोज की। इन्हीं प्रमाणों के आधार पर विद्वानों ने तय किया कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से मेहंदीपुर बालाजी, रणथंबौर, दंडगढ़, कोटा के रास्ते छोटे-छोटे गांवों से होते हुए उज्जैन पहुंचे थे।

विद्वानों का मत है कि भगवान श्रीकृष्ण तीन बार उज्जैन आए थे। पहली बार शिक्षा ग्रहण करने, दूसरी बार रुक्मिणी विवाह के लिए तथा तीसरी बार उज्जैन की राजकुमारी मित्रवृंदा से विवाह करने हेतु आए थे। आगे के मार्ग की खोज का कुछ काम शेष है। जल्द ही संपूर्ण पथ गमन को एक सर्किट के रूप में चिह्नित कर लिया जाएगा।

श्रीकृष्ण लीला का साक्षी स्वर्णगिरी पर्वत

गुरुश्रेष्ठ सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने आए भगवान श्रीकृष्ण सांदीपनि आश्रम में चौंसठ दिन रहे। इस दौरान उन्होंने विद्या अध्ययन के साथ गो सेवा, आश्रम के अन्य शिष्यों की तरह गुरु व गुरुमाता की सेवा की। एक दिन गुरुमाता के आदेश पर भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी के साथ कुरुकुल की भोजनशाला के लिए स्वर्णगिरी पर्वत पर लकड़ियां लेने गए थे। महिदपुर तहसील के ग्राम नारायणा व चिरमिया में आज भी यह स्थान श्रीकृष्ण की लीला का साक्षी है। गिरीराज गोवर्धन की तरह देशभर से भक्त स्वर्णगिरी पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं।

जमीन के लिए खून का प्यासा बना भतीजा, चाचा को मारी गोली, हालत गंभीर     |     सस्ते नहीं, महंगे घरों की बढ़ रही है डिमांड, इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा     |     स्कूल और घरों में भी सेफ नहीं बच्चे, केरल में थम नहीं रहा मासूमों का यौन शोषण     |     बिहार में बेहाल मास्टर जी! कम पड़ रहा वेतन, स्कूल के बाद कर रहे डिलीवरी बॉय का काम     |     बिहार: अररिया-हाजीपुर और किशनगंज में सांस लेना मुश्किल, 11 जिले रेड जोन में; भागलपुर और बेगूसराय में बढ़ी ठंड     |     मेरठ में महिला से छेड़छाड़ पर बवाल, 2 पक्षों के लोग आमने-सामने; भारी पुलिस बल तैनात     |     अर्पिता मुखर्जी को मिली जमानत, बंगाल में शिक्षक भर्ती स्कैम में ED ने जब्त किया था करोड़ों कैश     |     महाराष्ट्र का अगला CM कौन? दो दिनों के बाद भी सस्पेंस बरकरार     |     फिर विवादों में IPS रश्मि शुक्ला, देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, EC से की एक्शन की मांग     |     महाराष्ट्र में हार के बाद INDIA ब्लॉक में रार, ममता को गठबंधन का नेता बनाने की मांग     |