मनावर, धार। नगर सहित क्षेत्र में पिछले माह से लगातार मौसम परिवर्तन हो रहा है। इससे फसलों की ग्रोथ थमी हुई है। 25 दिसंबर से ठंड का असर लगातार कम होता जा रहा है। इससे गेहूं, चना व मक्का की फसल पर बीमारियों का प्रकोप मंडराने लगा है। क्षेत्र में 50 प्रतिशत किसानों ने नवंबर में गेहूं व चने की बोवनी की थी, जिन्हें अब अच्छी ठंड की जरूरत है, लेकिन अभी भी धूप-छांव का दौरा होने से ठंड का असर लगातार कम होता जा रहा है।
इस कारण गेहूं-चने की पैदावार कमजोर होने के आसार किसान जता रहे हैं। क्षेत्र के किसान बाबूलाल मुकाती, पप्पू चोयल, सुनील सोलंकी, कमल चोयल, नाहरसिह बुंदेला, शंकर मुवेल, गोपाल मौर्य आदि ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष ठंड बहुत ही कम रही। दिसंबर माह में भी ठंड ने अपना सही असर नहीं दिखाया। इससे गेहूं-चने के साथ ही मक्का की फसल में बार-बार कीटों का प्रकोप हो रहा है।
क्षेत्र में कई किसानों ने मक्का की फसल में इल्लियों का प्रकोप कम करने के लिए चार से पांच बार दवाई आदि का छिड़काव कर दिया है। फसलों पर बीमारियों का संकट आने का मुख्य कारण लगातार मौसम परिवर्तन होना है, क्योंकि बार-बार मौसम परिवर्तित होने के साथ ही बादलों की आवाजाही से फसलों की ग्रोथ पूरी तरह से थम जाती है और विभिन्न प्रकार की बीमारियां बढ़ जाती हैं। उत्पादन पर पड़ेगा असर क्षेत्र के किसानों ने अक्टूबर में गेहूं, चने आदि फसलों की बुवाई की थी।
इस दौरान ठंड का अच्छा असर होने से उपजी भी अच्छी रही, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में जिन किसानों ने बोवनी कार्य किया था, उनके चने व गेहूं इस समय कमजोर होते जा रहे हैं, क्योंकि अब फसलों को ठंड की जरूरत है, लेकिन इसके विपरीत धूप की तेजी है। किसानों ने बताया कि जनवरी से लगातार ठंड कम होती जाएगी, क्योंकि बड़े दिन लगने से प्रतिदिन तेज धूप पड़ेगी। इससे फसलों के उत्पादन उपज में कमी आने की संभावना है।
कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव जारी
क्षेत्र में अधिकांश खेतों में गेहूं-चने की फसलें छोटी-छोटी हैं। ठंड लगातार कमजोर होती जा रही है। कई किसानों द्वारा खरपतवार नियंत्रण करने के साथ ही कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है। मक्का फसल में एलियन के प्रकोप को लगातार कम किया जा रहा है तो कई किसान सिंचाई कर अपनी फसलों में सुधार कर रहे हैं।
क्षेत्र के अधिकांश किसानों द्वारा सौंफ की फसल भी लगाई गई थी, जो पूर्व में हुई मावठे की वर्षा के साथ ही बादलों की आवाजाही से कमजोर होती नजर आ रही है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सौंफ की फसल 40 प्रतिशत कमजोर है, जिससे भाव में कमी होने से किसान मायूस हो रहे हैं। मौसम में बार-बार परिवर्तन होने से लोगों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। क्षेत्र में कई लोग सर्दी, जुकाम के साथ ही डेंगू-मलेरिया के शिकार हो रहे हैं।