अयोध्या समेत देश-दुनिया राममय है। 22 जनवरी से पहले अयोध्या में भक्तों का तांता लग गया है। प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से रामभक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक समेत कई राज्यों के रामभक्त अब तक अयोध्या पहुंच चुके हैं। कोई रामभक्त पैदल अयोध्या जा रहा है, कोई साइकिल से तो कोई हाथों के सहारे चलकर रामनगरी पहुंच रहा है। इस बीच अयोध्या के सूर्यवंशी ठाकुरों ने 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा को भी तोड़ दिया है।
दरअसल, 500 साल पहले सूर्यवंशी ठाकुरों ने पगड़ी और चमड़े के जूते नहीं पहनने का ऐलान किया था। जो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरी हो रही है। अयोध्या से सटे पूरा बाजार ब्लॉक व आसपास के 105 गांव के सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद फिर एक बार पगड़ी बांधी और चमड़े के जूते पहने। बता दें कि राम मंदिर निर्माण का इनका संकल्प पूरा हुआ। इन गांवों में घर-घर जाकर और सार्वजनिक सभाओं में क्षत्रियों को पगड़ियां बांटी गईं।
क्यों की थी प्रतिज्ञा
सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे। सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा पड़ोसी बस्ती जिले के 105 गांव में रहते हैं। ये सभी ठाकुर परिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के आदेश के बाद अयोध्या के इन गांवों में गजब का उत्साह है।
समाज के करीब डेढ़ लाख लोग यहां आसपास के गांवों में रहते हैं। इतने वर्षो तक सूर्यवंशी क्षत्रियों ने शादी में भी पगड़ी नहीं बांधी है। समारोहों व पंचायत में भी संकल्प के मुताबिक सिर खुला रखते रहे हैं। अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, ‘सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए शादी में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया था, तब चमड़े के बने होते थे। लिहाजा खड़ाऊ पहनने लगे। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने गए। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार कोर्ट के फैसले से खुश हैं और उन्हें भव्य मंदिर बनने का इंतजार है।’